डीएनए हिंदी: आज उत्तर प्रदेश चुनावों के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी हो गई है. यह तय हो गया है कि Yogi Adityanath गोरखपुर शहहर सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. सीएम के अयोध्या और मथुरा से चुनाव लड़ने की खबरें भी थीं. बीजेपी ने गोरखपुर से योगी को उतारकर असल में एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है.
योगी की चुनाव में हुई 'घर वापसी'
गोरखपुर योगी आदित्यनाथ की राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है. उन्होंने यहीं के गोरखनाथ मठ से अपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. गोरखपुर शहर सीट पर मठ का बहुत अधिक प्रभाव है. इस सीट से योगी को उतारने का संदेश है कि सीएम भले प्रदेश के हों लेकिन अपने मूल को उन्होंने नहीं छोड़ा है.
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पूर्वांचल के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश
यूपी के आंतरिक सर्वे और दूसरे सर्वे में भी पूर्वांचल में बीजेपी को नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है. माना जा रहा है कि पूर्वांचल के वाराणसी से पीएम मोदी के चुनाव लड़ने से बीजेपी को क्षेत्र में फायदा हुआ है. उसी तरह से योगी को गोरखपुर से उतारने पर भी बीजेपी को फायदा होगा.
बीजेपी के लिए सुरक्षित सीट है
गोरखपुर शहर विधानसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ है. मठ का प्रभाव यहां पहले से ही ज्यादा है. ऐसे में सीएम को चुनाव प्रचार में अपना ज्यादा समय नहीं देना होगा. ऐसे में वह आराम से प्रदेश के दूसरे इलाकों में चुनाव प्रचार कर सकेंगे.
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राधामोहन दास के भविष्य पर सवालिया निशान
गोरखपुर शहर सीट से इस बार राधामोहन दास का पत्ता कट गया है. दास लंबे समय से योगी से नाराज भी चल रहे थे. हालांकि, 2002 से अब तक वह 4 बार यहां से चुनकर विधानसभा पहुंच चुके हैं. 2002 के चुनाव में तो वह हिंदू महासभा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते थे. उस वक्त वह योगी आदित्यनाथ की मदद से ही वहां पहुंचे थे तब उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को हराया था. 2022 आते-आते स्थितियां बदल गई हैं और अब योगी की वजह से ही उनका पत्ता कट गया है.
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