डीएनए हिंदीः पीलीभीत विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के अंर्तगत आती है. इस सीट पर 2017 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. पीलीभीत बांसुरी उद्योग के लिए दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है. पहले यह सीट बरेली जिले के अंदर आती थी.
2002 से 2012 तक था सपा का राज
पीलीभीत विधानसभा सीट पर 2002 से 2012 तक सपा की ओर से हाजी रियाज अहमद चुनाव में खड़े हुए थे. उन्होंने जीत भी दर्ज की और 15 साल तक लगातार विधायक बने रहे. 2012 में रियाज अहमद ने 61,578 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की थी. जबकि दूसरे स्थान पर 57,343 वोटों के साथ बसपा के संजय सिंह गंगवार रहे थे. वहीं 2017 के चुनावों में सपा की साइकिल हारी और भाजपा का कमल खिला.
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जानिए 2017 के परिणाम
2017 के चुनावों में इस सीट से भाजपा के संजय सिंह गंगवार ने 43,356 वोटों के मार्जिन से जीत हासिल की थी. उन्हें कुल 136,486 वोट प्राप्त हुए थे. जबकि दूसरे नंबर पर 93,130 वोटों के साथ के साथ सपा के रियाज अहमद रहे थे. वहीं तीसरे नंबर पर 14,532 वोटों के साथ बसपा के अरशद खान रहे थे.
समीकरण और उम्मीदवार
पीलीभीत विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है. यहां लगभग 4 लाख वोटर्स हैं. कोरोना काल में इस सीट पर वर्चस्व स्थापित करने वाले हाजी रियाज अहमद का निधन हो गया था. उसके बाद से इस सीट के समीकरण बदले-बदले लग रहे हैं.
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इस साल सीट से भाजपा के मौजूदा विधायक संजय सिंह गंगवार मैदान में उतरेंगे. जबकि सपा की तरफ से डॉ. शैलेंद्र गंगवार चुनाव लड़ेंगे. आखिर में सीट किसकी होगी, ये तो परिणाम आने पर ही पता चलेगा. पीलीभीत विधानसभा सीट के लिए 23 फरवरी को वोट डाले जाएंगे.
इस तरह पड़ा नाम
पीलीभीत जिला 1879 में बनाया गया था. इस नगर में पीली मिट्टी पाई जाती है इसलिए इसका नाम पीलीभीत पड़ा. पीली का अर्थ पीला होता है और भीत मिट्टी की दीवार को कहा जाता है.
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सपा के गढ़ पीलीभीत में क्या फिर खिलेगा कमल या जीतेगी साइकिल?