डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब जाट वोटरों को लुभाने की कोशिश में पूरी तरह से जुट गई है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को भरोसा है कि पार्टी बेहतर करेगी लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राह आसान नही हैं. विधानसभा चुनाव 2022 (Assembly Election 2022) के लिए किसान आंदोलन, गन्ना किसानों का मुद्दा, एमएसपी और जाट वोटरों की नाराजगी अब भी बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने खुद पश्चिमी यूपी की कमान संभाल ली है.

साल 2017 में भी अमित शाह ने कैराना में रोड शो के जरिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश को साधने की कोशिश की थी. एक बार फिर यही पैंतरा अमित शाह अपना रहे हैं. चुनौती इस बार यह है कि जाट वोटर नाराज हैं. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी बीजेपी के खिलाफ लगातार बोल रहे हैं. ऐसे में अमित शाह की कोशिश है कि किसी भी तरह से जाट वोटरों को मना लिया जाए. अमित शाह इसी कड़ी में 200 से ज्यादा जाट नेताओं के साथ मुलाकात करने वाले हैं. 

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कैराना से चुनाव प्रचार की क्या है बड़ी वजह?

साल 2014 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों ने तत्कालीन राज्य सरकार की छवि खराब की थी. जाट नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिया था. 2014 के लोकसभा चुनावों में जिसका फायदा बीजेपी को भी मिला. अब समीकरण बदले हैं. राष्ट्रीय लोकदल (RLD) को जाटों की पार्टी माना जाता है. आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी (SP) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मजबूत जोड़ी चुनावी मैदान में है. ऐसे में दोनों के गठबंधन का असर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकता है. यही वजह है कि अमित शाह लगातार पश्चिमी उत्तर प्रदेश को साधने में जुटे हैं.

जाट-मुस्लिम समीकरण बीजेपी के लिए चुनौती

रालोद और सपा के गठबंधन की तरफ मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में जा सकते हैं. बागपत के बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह मानते हैं कि परंपरागत रूप से रालोद को जाट पार्टी माना जाता है. मुस्लिम समुदाय के लिए बीजेपी को हराने वाला उम्मीदवार मायने रखता है, पार्टियां ज्यादा मायने नहीं रखतीं. इस इलाके में सपा और बसपा की मजबूत नहीं है इसीलिए मुस्लिम रालोद को सपोर्ट कर रहे हैं. रालोद को किसान आंदोलन का फायदा मिला और ये स्थितियां वहीं से पैदा हुई हैं. यही वजह है कि अमित शाह जाट वोटरों को मनाने की कोशिशों में जुटे हैं.

यूपी में कितने अहम हैं जाट वोटर?

रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी में 6 से 8 फीसदी जाट वोटर हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश जाट बाहुल क्षेत्र है. करीब 120 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां जाट वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. ऐसे में बीजेपी की कोशिश है कि जाट समुदाय के बड़े नेताओं को मना लिया जाए. जाटों को नाराज करने का खतरा बीजेपी मोल नहीं ले सकती है. ऐसे में अमित शाह और पार्टी के दिग्गज नेताओं का फोकस पश्चिमी उत्तर प्रदेश है.

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UP Election 2022 BJP Amit Shah Meeting Jat influencers West Uttar Pradesh
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जाट वोटरों को साधने में जुटी BJP, गृहमंत्री Amit Shah कैसे संभालेंगे सियासत?
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BJP Leader and Home Minister Amit Shah (Photo-PTI)
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UP Election 2022: जाट वोटरों को साधने में जुटी BJP, गृहमंत्री Amit Shah कैसे संभालेंगे सियासी समीकरण?