डीएनए हिंदी: चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी ने बाजी मारी है. मेयर पद के लिए भाजपा उम्मीदवार सरबजीत कौर ने आम आदमी पार्टी (AAP) की अंजू कात्याल के खिलाफ महज एक वोट के अंतर से जीत दर्ज की.
आप और भाजपा में 14-14 वोटों से टाई हो गया बाद में AAP के पक्ष में एक वोट को अमान्य घोषित कर दिया गया. इससे भाजपा उम्मीदवार की जीत तय हो गई. बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद एसेंबली हॉल में हंगामा मच गया.
हंगामा करते हुए आप पार्षद नवनिर्वाचित महापौर के बगल में बैठ गए और उपायुक्त विनय प्रताप का रास्ता रोक लिया. उन्होंने वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर पद की चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने का भी प्रयास किया. कौर को अब दोनों पदों के लिए चुनाव कराना है.
कांग्रेस ने पहले ही कोई उम्मीदवार नहीं उतारकर चुनाव से बाहर होने का विकल्प चुना था. सभी सात पार्षद मतदान प्रक्रिया से दूर रहे. उनके साथ अकाली दल के अकेले पार्षद हरदीप सिंह भी शामिल हुए.
कांग्रेस के सामने पसोपेश की स्थिति थी क्योंकि अगर उसने भाजपा को पटखनी देने के लिए 'आप' को वोट दिया होता तो पंजाब चुनाव से पहले 'आप' की स्थिति बेहतर हो जाती. दूसरी ओर यदि उसने भाजपा को वोट दिया होता तो जनता में गलत संदेश चला जाता.
हाल ही 'आप' ने चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों में 35 में से 14 सीटें हासिल की हैं. पार्टी पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मेयर के पद पर अपनी बढ़त बनाने की कोशिश कर रही थी.
वहीं भाजपा ने निकाय चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद अपनी छवि को बचाने की पूरी कोशिश की, जहां उसके वार्डों की संख्या 26 से गिरकर 12 हो गई. शनिवार को भाजपा के पक्ष में जहां 13 पार्षदों ने मतदान किया. वहीं एक मत सांसद किरण खेर का मिला, जो नगरपालिका की पदेन सदस्य हैं.
हालांकि 'आप' पार्षदों ने तर्क दिया कि एक सांसद मेयर के चुनाव में मतदान नहीं कर सकतीं लेकिन उन्हें सचिव द्वारा अधिनियम की एक प्रति दी गई, जिसमें प्रावधान दिखाया गया कि यदि कोई सांसद सदन का पदेन सदस्य है, तो वह मतदान कर सकता है.
बाद में आप के पक्ष में एक वोट को अवैध करार दे दिया गया. जिससे वह भाजपा से पिछड़ गई. चुनाव प्रक्रिया सुबह 11:10 बजे शुरू हुई. भाजपा पार्षद महेश इंदर सिंह सिद्धू पीठासीन अधिकारी थे, जबकि उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता की.
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