डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के दस जिलों की 62 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने पूरी ताकत झोंक दी है. इन निर्वाचन क्षेत्रों में आरएसएस के करीब 15 हजार 'ग्राम प्रमुख' अपनी टोलियां के साथ मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं.
एक-एक विधानसभा क्षेत्र में 240 से अधिक 'ग्राम प्रमुख' बीजेपी उम्मीदवारों की जीत तय करने के लिए अपनी टोलियों के साथ सक्रिय हैं. हालांकि, आरएसएस के पदाधिकारी इसे मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 'जनजागरण अभियान' का नाम दे रहे हैं.
पूर्वांचल के 62 विधानसभा क्षेत्रों में 27,647 बूथ हैं जहां आरएसएस के 'ग्राम प्रमुखों' और अन्य कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ी है. मऊ के नगर प्रचार प्रमुख डॉक्टर मधुकर आनन्द ने कहा है कि संघ की सुबह 'प्रभात शाखा' में लोगों को अधिक से अधिक मतदान के लिए स्वयंसेवक जागरूक कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुबह हम शाखा के बाद वार्डों में प्रभात फेरी निकाल रहे हैं और मतदाताओं को जागरूक कर रहे हैं.
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किन बातों पर है संघ का जोर?
संघ के नेता उनके बीच पत्रक भी बांट रहे हैं. हालांकि, उन्होंने साफ जाहिर किया है कि हम किसी दल के लिए नहीं राष्ट्र के लिए कार्य करते हैं. लोक जागरण मंच, गोरक्ष प्रांत की ओर से बांटे जा रहे पत्रक में मतदाताओं से अपील की गई है कि मतदान करते समय विचार करें कि आपका बहुमूल्य मत किसे जा रहा है. पत्रक की शुरुआत में ही कहा गया है उसे, जो शुरू से राम मंदिर बनाने के पक्ष में खड़ा रहा और उसके लिए संघर्ष किया या उसे, जिसने मंदिर की जगह मस्जिद या अस्पताल बनाने की बात करते हुए विरोध किया.
कैसे वोटरों को जागरूक कर रहा है संघ?
संघ ने अपने प्रचार पत्र में विश्वनाथ धाम के साथ ही सरकारी नौकरियों में जातिवाद, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने जैसे मामलों का जिक्र किया है. चुनाव में आरएसएस की भूमिका के संदर्भ में गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक सुभाष जी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग मतदान प्रतिशत बढ़ाने का प्रयास करता है, उसी के लिए हम जनजागरण कर रहे हैं.
कैसा था साल 2017 में नतीजा?
भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर क्षेत्र के आस पास की की 62 विधानसभा सीटों में से 44 पर जीत दर्ज की थी. समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 7-2, कांग्रेस को 1 और एक निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली थी. उस वक्त बीजेपी की सहयोगी रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और अपना दल (सोनेलाल) को भी इस इलाके की एक-एक सीटों पर जीत मिली थी.
अलग हैं इस बार के सियासी समीकरण
विधानसभा चुनाव 2022 में ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा, सपा के साथ है. चुनाव से ठीक पहले योगी सरकार के कई दिग्गज मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं. इस विधानसभा क्षेत्र से आने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान भी सपा में शामिल हो गए हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य और सिंह कुशीनगर की फाजिलनगर और मऊ की घोसी सीट से सपा से चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में इन नेताओं से संबंधित जातियों के मतों में बिखराव की आशंका जताई जा रही है.
क्या है पूर्वांचल का जातीय समीकरण?
जानकारों के मुताबिक जिलों में करीब 52 फीसद पिछड़ी जातियों के अलावा, 20 फीसद अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. यहां के अलग अलग क्षेत्रों में पिछड़ी कुर्मी-सैंथवार, मौर्य-कुशवाहा, यादव, राजभर, नोनिया- चौहान बिरादरी की निर्णायक संख्या है, जबकि दलितों में जाटव के अलावा पासी, खटीक, बेलदार, धोबी भी कुछ क्षेत्रों में अच्छी तादाद में हैं. सवर्ण बिरादरी में ब्राह्मण और क्षत्रिय के अलावा कायस्थ भी लगभग सभी जिलों में हैं. मऊ, आजमगढ़ और पडरौना समेत करीब 15 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं का भी प्रभाव है.
बीजेपी कितने वर्गों में यूपी का किया है विभाजन?
उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने अपने संगठनात्मक ढांचे को छह भागों में बांटा है जिसमें पश्चिम क्षेत्र, ब्रज क्षेत्र, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध और काशी क्षेत्र के अलावा गोरखपुर क्षेत्र शामिल हैं. गोरखपुर क्षेत्र में कुल 10 जिले गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, बलिया और मऊ शामिल हैं और इनमें कुल 62 विधानसभा सीटें हैं.
कब है वोटिंग?
आजमगढ़ जिले की 10 तथा मऊ जिले की चार विधानसभा सीटों पर आखिरी चरण में सात मार्च को मतदान होगा जबकि बाकी 48 सीटों पर छठे चरण में तीन मार्च को मतदान होना है. शुरू के पांच चरणों में कुल 292 सीटों पर मतदान हो चुका है और अभी दो चरणों में कुल 111 सीटों पर मतदान होना बाकी है. (भाषा इनपुट के साथ)
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