डीएनए हिंदीः देश में मौजूदा समय में सबसे बड़ा विपक्षी नेता कौन है? यह एक ऐसा सवाल है जिसपर चर्चा शुरू हो तो खत्म होने का नाम न ले. तीसरी बार पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से ही ममता बनर्जी खुद को सबसे बड़ा विपक्षी नेता साबित करने पर कोशिश कर रही हैं. वो लगातार कांग्रेस पार्टी पर हमलावर हैं और विपक्षी दलों को साथ आने की सलाह दे रही हैं.
लेकिन लगता है ममता बनर्जी की राह में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल आने वाले समय में बड़ी बाधाएं पैदा कर सकते हैं. पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उत्साह से लबरेज आम आदमी पार्टी ने अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले पंचायत चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.
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दरअसल आम आदमी पार्टी ने इस ऐलान के जरिए एक तीर से दो निशाने साधे हैं. टीएमसी की तरह लगातार AAP के कार्यकर्ता भी अपने दल के मुखिया को देश में सबसे बड़ा विपक्षी नेता बताते आ रहे हैं. पंजाब में मिली सफलता के बाद आम आदमी पार्टी इस समय देश में एकमात्र ऐसा क्षेत्रिय दल बन गई है जिसकी दो जगहों पर सरकार है. गोवा में भी आम आदमी पार्टी ने 2 विधायकों के साथ खाता खोला है जबकि टीएमसी को पहले प्रयास में कोई सफलता नहीं मिली है.
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इससे पहले AAP ने चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में भी 14 सीटें और सूरत नगर निगम में 27 विधानसभा सीटें जीतीं थीं. ऐसे में आम आदमी पार्टी का बंगाल की धरती पर एंट्री करना सीधे तौर पर टीएमसी को चैलेंज है कि उनकी पार्टी का नेता इस समय देश में सबसे बड़ा विपक्षी नेता है. वैसे तो पंचायत चुनावों में सत्ताधारी पार्टी का बोलबाला दिखता है लेकिन रक्तरंजीत बंगाल की राजनीति में अगर अरविंद केजरीवाल की पार्टी कुछ जगहों पर भी जीत दर्ज करती है तो यह उसके लिए बड़ी उपलब्धि होगी.
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