पंजाब विधानसभा चुनावों में मलेरकोटला की सीट की हर चुनाव में चर्चा होती है. यह पंजाब का अकेला मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्र है. चुनावी राजनीति से इतर यह सांस्कृतिक तौर पर समृद्ध इलाका है. बंटवारे की भीषण त्रासदी में भी यह इलाका शांतिपूर्ण रहा था. इस इलाके की विधायक रजिया सुल्ताना ने जब पंजाब सरकार में मंत्री पद की शपथ ली थी तो वह बहुत से लोगों के लिए आश्चर्य की ही बात थी. जानें पंजाब की इस हॉट सीट की खासियत.
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मलेरकोटला के नवाब थे शेर मोहम्मद खान. उनके दौर में मुगल बादशाहों और सिखों के बीच खूनी संघर्ष चलता था. मुगलों ने उस समय गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों को दीवार में जिंदा चुनवाने का आदेश दिया था. मलेरकोटला के नवाब ने इसे गैर-इस्लामिक बताकर इसका विरोध किया था. तब से ही सिखों और यहा के मुसलमानों के बीच अनोखा रिश्ता रहा है. बंटवारे के वक्त भी नवाब के वंशजों ने अपने किले में बहुत से हिंदुओं, सिखों को पनाह दी थी.
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मलेरकोटला का यह इलाका वैश्विक स्तर पर भी जाना जाता है. गीतकार इरशाद कामिल, मशहूर एक्टर सईद जाफरी यहीं के रहने वाले हैं. अमेरिका के बॉबी जिंदल का परिवार भी मलेरकोटला के पास के एक गांव का रहने वाला है. इसी इलाके के मशहूर गायक और संगीतकार वडाली ब्रदर्स हुए हैं.
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कांग्रेस ने पिछले चुनाव में यहां से रजिया सुल्ताना को उतारा था और आम आदमी पार्टी ने टीवी एक्टर अरशद डाली को. अरशद और रजिया सगे भाई-बहन भी हैं. इस चुनाव में दोनों ने एक-दूसरे पर खूब हमले किए थे. चुनाव में जीत रजिया के हाथ लगी और उन्होंने अपने नाम एक और इतिहास बना लिया. पंजाब के अलग राज्य बनने के बाद से यहां कभी मुसलमान मंत्री नहीं बना था. रजिया सुल्ताना पहली मुस्लिम मंत्री बनीं और इतिहास रच दिया.
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मलेरकोटला को 7 जून 2021 को जिला का दर्जा दिया गया है. नए जिले का उद्घाटन पंजाब के उस वक्त के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किया था. पंजाब सरकार के इस फैसले पर बीजेपी ने निशाना साधा था और इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया था. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी आलोचना की थी. योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा था कि मजहब के आधार पर जिला बनाना तुष्टिकरण की राजनीति है.
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मलेरकोटला को भारत के सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल कहा जाए तो गलत नहीं होगा. विभाजन से अब तक यहां का इतिहास शांतिपूर्ण रहा है. यहां लगभग 69% फीसदी आबादी मुसलमानों की है. इसके अलावा सिख और हिंदू परिवार रहते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि मलेरकोटला के पास समृद्ध सांस्कृतिक और सूफी विरासत है. यहां के लोगों में आज भी सूफिज्म जिंदा है.