चुनावी राज्यों में राजनीतिक पार्टियां एक से बढ़कर एक सियासी वादे कर रही हैं. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और गोवा की सियासी लड़ाई तेज हो गई है. चुनावी पार्टियों के मेनिफेस्टो में फ्री बिजली का वादा सबसे कॉमन है. घरेलू-कृषि कार्यों के लिए मुफ्त बिजली और लोन माफी भी अहम मुद्दा है. महिलाओं और बुजुर्गों के लिए मासिक सहायता राशि का भी जिक्र किया जा रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर यूपी और उत्तराखंड में इन चुनावी वादों को पूरा किया जाता है तो किस राज्य सरकार को कितनी राशि खर्च करनी पड़ सकती है आइए जानते हैं.
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समाजवादी पार्टी ने वादा किया है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो 300 यूनिट तक घरेलू उपयोग की बिजली फ्री दी जाएगी. इसके लिए 17,500 करोड़ प्रति साल देना होगा. सिंचाई के लिए मिलने वाली बिजली का खर्च करीब 2,000 करोड़ रुपये आएगा. गरीब और उम्रदराज महिलाओं को 1,500 रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा. इसकी लागत करीब 4,500 करोड़ आ सकती है.
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आम आदमी पार्टी ने वादा किया है कि अगर उनकी यूपी में सरकार बनती है तो 300 यूनिट फ्री बिजली दी जाएगी. इसका भी खर्च 17,500 करोड़ रुपये आया है. लोन माफी के लिए 30,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. बेरोजगारों को 5,000 रुपये देने का वादा किया गया है. 25 लाख रजिस्टर्ड बेरोजगार यूपी में हैं. अगर उन्हें यह रकम दी जाएगी तो 1,250 करोड़ रुपये प्रति माह खर्च हो सकते हैं. 18 साल से ऊपर की महिलाओं को अगर 1,000 रुपये प्रति माह सहायता राशि दी जाए तो इसके लिए प्रति माह 6,980 करोड़ प्रतिमाह खर्च हो सकते हैं. यूपी में 6.98 करोड़ वोटर्स हैं.
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कांग्रेस ने वादा किया है कि जो लड़कियां 12 पास करेंगी उन्हें स्मार्टफोन और ई-स्कूटर योजना का लाभ मिलेगा. इसके लिए 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. राज्य में 1.67 लाख आशा वर्कर हैं. उनके मानदेय को 6000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रतिमाह करने का वादा कांग्रेस ने किया है. अगर ऐसा होता है तो इसमें 68.8 करोड़ रुपये प्रतिमाह खर्च हो सकता है.
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बीजेपी ने वादा किया है कि अगर उनकी दोबारा सरकार बनती है तो मुफ्त सिंचाई योजना पर 2,000 करोड़ रुपये प्रतिमाह खर्च करेगी. 2 फ्री सिलेंडर पीएम उज्ज्वला योजना के तहत दिया जाएगा. हर साल होली और दीपावली पर 2 फ्री सिलेंडर दिया जाएगा. इसके लिए कुल 4,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. 2 करोड़ टेबलेट और स्मार्टफोन वितरित किया जाएगा. इसे स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना के तहत वितरित किया जाएगा. इसमें 20,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
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यूपी का कुल बजट 26 फीसदी बढ़ा दिया गया है. 2021-22 के लिए बजट 4 लाख करोड़ से बढ़ाकर 5.1 लाख करोड़ कर दिया गया है. खर्च 4.1 लाख करोड़ से बढ़ाकर 5.5 लाख करोड़ कर दिया गया है. राज्य का कर्ज 7 फीसदी नीचे गिर गया है. कर्ज का बोझ कम होकर 91,502 करोड़ से 85,869 करोड़ हो गया है. फिस्कल डेफिसिट 2021-22 के लिए 90,730 करोड़ रुपये है.
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आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड के लिए वादा किया है अगर सरकार बनती है तो 300 यूनिट फ्री बिजली दी जाएगी. इसमें 1,100 करोड़ रुपये वार्षिक खर्च होंगे. 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को 1,000 प्रतिमाह दिया जाएगा. इसमें 3,000 करोड़ रुपये प्रतिमाह खर्च होंगे. 5,000 रुपये प्रतिमाह बेरोजगारों को दिया जाएगा. इसमें 4,800 रुपये प्रतिमाह खर्च होंगे.
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कांग्रेस ने उत्तराखंड के लिए पहले साल 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वादा किया है. दूसरे साल 200 मिनट प्रति माह खर्च किया जाएगा. इसके लिए 60 करोड़ रुपये प्रतिमाह खर्च होगा. कुल 720 करोड़ रुपये खर्च होंगे. 3,500 रुपये प्रतिमाह आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों को दिया जाएगा. इसमें कुल 175 करोड़ प्रतिमाह खर्च होगा.
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उत्तराखंड पर कुल 66,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. यह 2021-22 के मौजूदा बजट से बहुत ज्यादा है. मौजूदा बजट कुल 57,400 करोड़ रुपये है. राजनीतिक पार्टियों के चुनावी वादे को पूरा करने के लिए सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है.