आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. दुनिया 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाती है. इस साल के महिला दिवस का थीम जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो है. दुनिया के साथ-साथ भारतीय राजनीति में भी महिलाएं हर दिन नई इबारत लिख रही हैं. कुछ राज्यों में तो राजनीतिक पार्टियों की पूरी कमान ही महिला नेताओं के हाथ में है. आइए जानते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनावों में किन महिलाओं की मेहनत पर देशभर की नजरें टिकी रहीं.
Slide Photos
Image
Caption
थैनाओजम वृंदा ( Thounaojam Brinda) मणिपुर की चर्चित महिला उम्मीदवारों में से एक हैं. थैनाओजम वृंदा 2012 बैच की एक अधिकारी हैं जो तब अचानक से चर्चा में आ गईं थीं जब एक ड्रग स्कैंडल केस में उन्होंने मुख्यमंत्री का नाम लिया था. थैनाओजम वृंदा कहती हैं कि अगर वह विधायक चुनी जाती हैं तो उनका पहला काम ड्रग रैकेट को ध्वस्त करना होगा. पुलिस अधिकारी बनने से पहले थैनाओजम वृंदा कहती थीं कि उन्हें एक्टिविस्ट बनना है. राजनीति में वह इसी विधा पर काम करना चाहती हैं. थैनाओजम वृंदा जनता दल यूनाइटेड (JDU) के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. जेडीयू ने कुल 38 उम्मीदवार इस विधानसभा चुनाव में उतारे हैं. थैनाओजम वृंदा इंफाल जिले की यसकुल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ी हैं. सोशल मीडिया पर उनके लाखों में प्रशंसक हैं.
Image
Caption
गोवा में 40 विधानसभा सीटे हैं लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों से परहेज किया है. किसी भी पार्टी के पास ताकतवर महिला चेहरा नहीं है. गोवा की प्रमुख चुनावी चेहरा अलीना सल्दान्हा (Alina Saldanha) हैं. अलीना पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) की कोर्टालिन से विधायक थीं और उन्होंने चुनाव से ठीक पहले इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी का हाथ थाम लिया था. अलीना 2 बार विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं. अलीना सल्दान्हा ने 2012 में गोवा में कोर्टालिम विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. उन्हें 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जीत मिली थी. अलीना राज्य में पहले वन और पर्यावरण मंत्रालय भी संभाल चुकी हैं. अलीना एक बार फिर कोर्टालिम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ी हैं. देखने वाली बात है कि अलीनार तीसरी बात जीत दर्ज कर पाती हैं या नहीं.
Image
Caption
पंजाब की सियासत में किसी भी राजनीतिक पार्टी के पास हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) से बड़ा चुनावी चेहरा नहीं है. हरसिमर कौर बादल नरेंद्र मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री रह चुकी हैं. वह बठिंडा से सांसद भी हैं. उनका परिवार पंजाब के सत्ताधीशों में शुमार रहा है. शिरोमणी अकाल दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, हरसिमरत कौर बादल के पति हैं. सुखबीर सिंह बादल पंजाब के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. संसद में अपने संबोधनों के दौरान उन्होंने महिला सुरक्षा और विकास को लेकर हमेशा सवाल उठाए हैं. जब केंद्र सरकार ने नए कृषि सुधार कानूनों को संसद से पारित किया था तब नाराज होकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की दोस्ती टूट गई थी. हरसिमरत कौर बादल पंजाब में सियासत की नई कहानी लिख रही हैं.
Image
Caption
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में दोबारा खड़ा करने का जिम्मा उन्होंने लिया है. सोनिया गांधी के बाद अगर कांग्रेस के पास कोई सबसे मजबूत चुनावी चेहरा है तो वह प्रियंका गांधी हैं. उन्होंने यूपी की सियासत में नए टर्म गढ़े हैं. 2019 तक राजनीति से दूर रही प्रियंका यह जानती हैं कि परिवार की सियासी बागडोर को मजबूत करने की जिम्मेदारी उनके भी कंधों पर हैं. हाल के दिनों में प्रियंका गांधी ने राजनीति के नए सूत्र गढ़े हैं. प्रियंका गांधी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार पर जमकर हमले बोलती हैं. बेरोजगारी, शिक्षा, किसान और महंगाई के मुद्दे पर वह सरकारों को घेरती हैं. अगर यूपी में चुनाव से पहले कोई जमीन पर उतरना, लोगों से खुद को जोड़ने की कोशिश की तो वह प्रियंका गांधी थीं. उन्होंने साबित किया है कि महिला सुरक्षा, महिला विकास और हर काम में महिला की बराबर भागीदारी को भी राजनीतिक मुद्दा बनाया जा सकता है. उनका लड़की हूं लड़ सकती हूं कैंपेन देशभर में चर्चित रहा है. यूपी और देश को उम्मीद है कि राजनीति में लोग नए प्रयोग करेंगे और बराबरी की आवाज और मजबूत होगी.
Image
Caption
उत्तराखंड की सियासत में रेखा आर्य (Rekha Arya) का नाम हर हर कोई जानता है. भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख महिला नेताओं की गिनती अगर सूबे में की जाए तो रेखा आर्य का नाम दिग्गज नेताओं में शुमार होगा. रेखा आर्य सोमेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ी हैं. पुष्कर सिंह धामी सरकार में रेखा आर्य महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी उठा रही हैं. वह पशुपालन मंत्री भी हैं. रेखा आर्य को उत्तराखंड की लोक परपंराओं के संरक्षण के लिए भी काम करती हैं. भारतीय जनता पार्टी मे उनकी पकड़ लगातार मजबूत हो रही है. अपने शपथ समारोहों में वह अक्सर पारंपरिक पिछौड़ा और नथुली पहनकर पहुंचती हैं. उत्तराखंड की महिलाओं को उनसे भी बहुत उम्मीद है.