UP Assembly Election 2022 के लिए बीजेपी ने 107 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट के जरिए बीजेपी हाईकमान ने OBC, महिलाओं से लेकर अपने कोर वोटरों को संदेश देने की कोशिश की है. गोरखपुर शहर सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ खुद उतर रहे हैं, यह बीजेपी के लिए मास्टरस्ट्रोक की तरह है.
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उत्तर प्रदेश के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने ही मोदी और योगी की जोड़ी को मिलाकर उपयोगी का नारा दिया था. पहली लिस्ट में भी इस जोड़ ने खास तौर पर ध्यान रखा है कि बीजेपी के कोर वोटर किसी भी तरह से नहीं छिटकें. पूर्वांचल के मतदाताओं को लुभाने के लिए खुद सीएम योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर से उतारा गया है. इसके अलावा, ब्राह्ममण और बनिया उम्मीदवारों को भी उतारा गया है. 11 ब्राह्मणों और 9 बनिया को टिकट दिया गया है.
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चुनाव से ठीक पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ी है जिसकी वजह से OBC वोटों के नुकसान की बात मानी जा रही है. अब पहली लिस्ट के जरिए बीजेपी की कोशिश है कि उस नुकसान की भरपाई की जा सके. 107 में से 43 उम्मीदवार OBC हैं. यह उम्मीदवारों की संख्या का करीब 40% है. बीजेपी की कोशिश है कि चुनावी गणित के लिहाज से ओबीसी मतदाताओं को अपने साथ जोड़े रखा जा सके. 2017 के चुनावों में OBC मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर बीजेपी का साथ दिया था.
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बीजेपी ने पहली लिस्ट में ठाकुर और एससी वर्ग को खुद से जोड़े रखने की कोशिश भी नजर आ रही है. दोनों ही वर्गों के 20 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. सीएम योगी आदित्यनाथ भी ठाकुर समुदाय से ही हैं. बीजेपी की कोशिश एससी वोटों में सेंध लगाकर विपक्षियों के जीतने की संभावनाओं को कमजोर करना है. ठाकुरों को प्रमुखता देने के आरोप योगी आदित्यनाथ पर लगते भी रहे हैं और यह भी माना जाने लगा है कि यूपी में ठाकुर वोट अब बड़ी संख्या में बीजेपी के साथ जुड़ चुके हैं.
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कांग्रेस का इस चुनाव में महिला वोटरों पर खास ध्यान है. हालांकि, पहली लिस्ट में बीजेपी ने 10 ही महिलाओं को टिकट दिया है. माना जा रहा है कि अगली लिस्ट में महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ सकती है. बीजेपी के चुनाव प्रचार में जरूर महिला वोटरों के लिए फायदेमंद स्कीम का बार-बार जिक्र किया जा रहा है.
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बीजेपी के लिए यह चुनाव पूरी तरह से प्रतिष्ठा का प्रश्न है और इसलिए उम्मीदवारों की लिस्ट फाइनल करने से पहले पार्टी हाईकमान ने आंतरिक सर्वे और फीडबैक को खास तौर पर ध्यान में रखा है. 20 मौजूदा विधायकों का पहली लिस्ट में नाम नहीं है. साफ है कि बीजेपी की कोशिश हर हाल में उन्हीं उम्मीदवारों को उतारना है जिनके जीतने की गुंजाइश ज्यादा हो.