पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों (5 States Assembly Elections) के इस दौर में अनेकों ऐसे नेता हैं जो अपना पाला बदल रहे हैं और इसमें बीजेपी (BJP) नेताओं की तादाद काफी ज्यादा है. ऐसे में यह दावा किया जा रहा है कि बीजेपी के हारने की आशंका के चलते उसके नेता छोड़ रहे हैं लेकिन पिछले 7-8 सालों के इतिहास में देखें तो जो नेता दूसरे दलों से आए उनमें से अधिकतर को बीजेपी ने बड़े पद दिए हैं तो चलिए जानते हैं कि वो पांच बड़े नेेता कौन से हैं.
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कांग्रेस के कद्दावर राजनेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साल 2020 में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजनीति में जब खुद को हाशिए पर पाया तो उन्होंने कांग्रेस की सरकार गिराकर बीजेपी की सदस्यता ले ली. ऐसे में पहले उन्हें राज्यसभा का पद मिला और फिर मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार में नागर विमानन मंत्रालय दिया गया.
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कांग्रेस पार्टी में रहे असम (Assam) के वर्तमान मुख्यमंत्री हिमंता बिसवा सरमा तरुण गोगोई की राजनीति के कारण काफी नाराज थे उन्होंने राहुल गांधी से इस मुद्दे पर शिकायत की थी लेकिन राहुल गांधी ने उनकी बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. ऐसे में हिमंता बिस्वा सरमा ने पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया. इसके बाद पहले 5 साल उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई और साल 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद उन्हें असम का मुख्यमंत्री बना दिया गया है.
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साल 2021 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान पश्चिम बंगाल में भले ही भाजपा को हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस छोड़कर आए दिग्गज नेता सुवेंदु अधिकारी को अहम पद दिया. भाजपा ने उन्हें विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया है इसकी वजह यह है कि सुवेंदु को ममता बनर्जी का विरोधी माना जाता है. वहीं सुवेंदु को अहम पद देने पर भाजपा के ही कुछ नेता पार्टी से नाराज़ थे.
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वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकीं रीता बहुगुणा जोशी ने बीजेपी की सदस्यता ले ली थी. जोशी को बीजेपी में आने का फायदा मिला. उन्हें विधानसभा चुनाव में पहले विधानसभा पहुंचाया गया और फिर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद भी मिला. इसके बाद रीता बहुगुणा जोशी को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उतारा गया और वर्तमान में वो इलाहाबाद से लोकसभा सांसद हैं.
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कांग्रेस में हाशिए पर जा चुके दिग्गज नेता जितिन प्रसाद ने भी पिछले वर्ष भाजपा का दामन थाम लिया था. कांग्रेस ने इस दौरान उनकी तीखी आलोचना की थी. वहीं राजनीतिक निर्वासन की ओर जा चुके जितिन प्रसाद को बीजेपी में जाने का फायदा हुआ और उत्तर प्रदेश की योगी कैबिनेट मंत्री उन्हें मंत्री पद मिला.