ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की कार पर हुआ हमला अब सियासी मोड़ ले चुका है. 3 फरवरी को उनके काफिले पर गाजियाबाद के पिलखुवा में हमला हुआ था. आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है. पुलिस ने बेहद कम वक्त में पूरी साजिश की पड़ताल भी कर ली है. विपक्ष असदुद्दीन ओवैसी पर हुए हमले को लेकर योगी सरकार (Yogi Government) को घेर रहा है.
Slide Photos
Image
Caption
असदुद्दीन ओवैसी की गिनती मुसलमानों के सबसे बड़े नेता के तौर पर होती है. समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की सियासत सिर्फ यूपी तक सीमित थी. यूपी के बाहर मुस्लिम समाज ने उन्हें अपना नेता नहीं माना. महाराष्ट्र में सपा नेता अबू आजमी की हालत भी कुछ ऐसी ही है. कांग्रेस पार्टी में जितने भी मुस्लिम चेहरे रहे उनकी छवि सेक्युलर नेता की रही है. वह किसी समुदाय के नेता नहीं रहे हैं. सलमान खुर्शीद से लेकर गुलाम नबी आजाद तक, कांग्रेस के सभी मुस्लिम चेहरों का जोर सेक्युलर पॉलिटिक्स का रहा. ओवैसी मुसलमानों के नेता हैं और खुले मंच से इस बात को मानते हैं.
Image
Caption
असदुद्दीन औवेसी को केंद्र सरकार ने घटना के तत्काल बाद जेड स्तर की सीआरपीएफ सुरक्षा दी थी. असदुद्दीन ओवैसी ने इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा है जेड सिक्योरिटी नहीं चाहिए. सरकार से उन्होंने मांग की है कि उन्हें एक बुलेट प्रूफ गाड़ी दी जाए और हथियार रखने की अनुमति. वह अपनी हिफाजत खुद कर सकते हैं. सरकारी मदद से इनकार करने वाले असदुद्दीन ओवैसी अब राजनीतिक सभाओं में यह भी भुनाने की कोशिश करेंगे कि उन पर योगी सरकार में हमला हुआ है. अल्पसंख्यक आवाजों को दबाया जा रहा है.
Image
Caption
असदुद्दीन ओवैसी को लेकर मुस्लिम वोटरों में क्रेज है. कुछ लोग उनकी साफगोई पसंद करते हैं. समाजवादी पार्टी भी मुस्लिमों की हिमायती पार्टी मानी जाती है. अखिलेश यादव भी मुस्लिम वोटर्स को लुभाने में कामयाब हुए हैं. खुद असदुद्दीन ओवैसी जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं वे मुस्लिम बाहुल सीटें हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मु्सलिम वोटर अहम भूमिका निभाते हैं. अगर असदुद्दीन ओवैसी राजनीतिक सभाओं में अपने साथ हुए कार अटैक को चुनावी मुद्दा बनाते हैं तो उनके साथ सहानुभूति लोग जता सकते हैं. जिस तरह का उनका क्रेज है उसे वोट में भी भुनाने में औवैसी माहिर हैं. ऐसे में उनको लाभ मिल सकता है.
Image
Caption
असदुद्दीन ओवैसी पर हमला पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुआ है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर असदुद्दीन औवैसी बेहद सक्रिय हैं. लोनी, गढ़ मुक्तेश्वर, धौलाना, सिवाल खास, सरधाना, किठोर, बेहट, बरेली और सहारनपुर में ओवैसी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को खड़ा किया है. लगातार असदुद्दीन ओवैसी इन्हीं क्षेत्रों में अपने चुनाव अभियान को तेज कर रहे हैं. यूपी में 100 सीटों पर चुनाव लड़ रही ओवैसी की पार्टी मुस्लिम उम्मीदवारों पर ही भरोसा जता रही है. जो क्षेत्र मुस्लिम बाहुल हैं, वहीं औवैसी उम्मीदवार उतार रहे हैं. ऐसी स्थिति में अगर ओवैसी अपने ऊपर हुए कार अटैक के मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं तो उन्हें कामयाबी हासिल हो सकती है.
Image
Caption
असदुद्दीन ओवैसी जहां भी मुस्लिम कार्ड खेलते हैं उनके लिए चुनावी नतीजे अच्छे आते हैं. अगर पश्चिम बंगाल को छोड़ दिया जाए तो उनके प्रयोग दूसरे राज्यों में ठीक रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनने की उनकी ललक साफ नजर आ रही है. महाराष्ट्र विधानसभा में एआईएमआईएम के 2 विधायक हैं. तेलंगाना विधानसभा में ओवैसी के 7 विधायक हैं. बिहार में पार्टी के 5 विधायक हैं. खुद असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद से सांसद हैं. महाराष्ट्र में सैयद इम्तियाज जलील भी अपनी सीट जीतने में कामयाब हो गए थे. ओवैसी की सीटें लगातार बढ़ रही हैं. यूपी में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं. उनकी लड़ाई यहां तीन पार्टियों से है. कांग्रेस, सपा और बसपा. तीनों पार्टियों से अल्पसंख्यकों को गुरेज नहीं है. मुस्लिम कभी कांग्रेस पार्टी के कोर वोटर भी रहे हैं. सपा पर आरोप ही मुस्लिम तुष्टिकरण के लगते हैं. अगर ओवैसी इन पार्टियों को पीछे छोड़ने में कामयाब होते हैं तो बिहार का मैजिक यूपी में भी नजर आ सकता है.