यूपी चुनाव के नतीजों से देश की राजनीति की दशा बहुत कुछ साफ होने जा रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. चुनाव के लिए उन्होंने गोरखपुर शहर की सीट चुनी है. गोरखपुर से ही योगी 5 बार सांसद भी रहे हैं. पूर्वांचल में ही प्रदेश की 156 सीटें आती हैं. यहां अपना गढ़ बचाने के लिए बीजेपी ने खास तैयारी की है.
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2014 में पूर्वाचंल की ही वाराणसी सीट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए चुना था. अब सीएम भी पूर्वांचल के ही अपने पुराने इलाके से जाकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. यह बीजेपी का बहुत सोच-विचारकर उठाया हुआ कदम है. बीजेपी की कोशिश है कि जनता में यह संदेश जाए कि पीएम और सीएम दोनों का ही पूर्वांचल की जनता से खास रिश्ता है.
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पूर्वांचल की जनता से मनोवैज्ञानिक कनेक्ट बनाने के लिए बीजेपी के पास पर्याप्त मुद्दे हैं. अयोध्या में राम मंदिर के साथ पूर्वांचल को दिया काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का तोहफा हिंदुत्व के एजेंडे पर बिल्कुल फिट बैठता है. इसके अलावा, नमामि गंगे प्रोजेक्ट का भी चुनाव प्रचार में बार-बार जिक्र किया जा रहा है.
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बीजेपी चुनाव प्रचार में हिंदुत्व ही नहीं विकास के एजेंडे को जोर-शोर से उठाती है. पूर्वांचल में विकास के काम गिनवाने के लिए बीजेपी के पास कई मुद्दे हैं. गोरखपुर एयरपोर्ट, कुशीनगर एयरपोर्ट, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे और राज्य और केंद्र सरकार की दूसरी योजनाएं भी इसके केंद्र में हैं.
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राजनीति के जानकार मानते हैं कि 2017 में गोरखपुर, आजमगढ़, बस्ती और आस-पास के 7 जिलों को मिलाकर कुल 62 ऐसी सीटें हैं जहा 'महाराज' का सिक्का चलता है. योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक कर्मभूमि गोरखपुर रही है और इस इलाके में उनकी मजबूत पकड़ है. बीजेपी ने साल 2017 में इन 7 जिलों की 62 में से दो तिहाई सीटें जीती थीं. इस बार भी बीजेपी उसी लक्ष्य को साथ लेकर चल रही है. बड़ी बात यह भी है कि इस बार सीएम योगी आदित्यनाथ खुद भी चुनाव लड़ने गोरखपुर आ गए हैं.
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गोरखपुर से सीएम योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ाकर बीजेपी ओबीसी वोटों पर भी नजर जमाए हुए है. माना जा रहा है कि बीजेपी स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़कर जाने की वजह से ओबीसी वोटों के छिटकने की आशंका को पूरी तरह से ध्वस्त करना चाहती है. 2017 में बीजेपी को ज्यादातर ओबीसी जातियों से अच्छी संख्या में वोट मिले थे. बीजेपी की कोशिश उस वोट बैंक क बनाए रखने की है. इसके अलावा, पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का भी क्षेत्र आजमगढ़ रहा है. बीजेपी ने इसलिए योगी को पूर्वांचल से उतारा है, ताकि योगी के चेहरे को आगे कर पूर्वांचल की सीटों पर ओबीसी वोट बैंक जोड़े रखा जा सके.