पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले देश में असहिष्णुता बढ़ने का हवाला दिया है. उन्होंने अमेरिकी सांसदों की मौजूदगी वाले एक कार्यक्रम में बिना नाम लिए मोदी सरकार पर हमला बोला है. विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इस मुद्दे की वापसी पर राजनीतिक बयानबाजी और चुनाव प्रचार में आरोप-प्रत्यारोप के लिए इस्तेमाल होना तय माना जा रहा है. जानें क्या है पूर्व राष्ट्रपति का बयान जिस पर बवाल हो रहा है.
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हामिद अंसारी ने गणतंत्र दिवस के मौके पर वॉशिंगटन में आयोजित वर्चुअल इवेंट में कहा कि पिछले कुछ सालों में देश में असहिष्णुता का माहौल बढ़ा है. उन्होंने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में नागरिक राष्ट्रवाद को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से बदलने की कोशिश हो रही है. पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि धर्म के आधार पर असहिष्णुता को बढ़ावा दिया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक बहुमत को राजनीतिक एकाधिकार के तौर पर पेश करने की कोशिश हो रही है.
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पूर्व उपराष्ट्रपति ने इशारों में मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने बिना नाम लिए भारत में UAPA के गलत इस्तेमाल होने की बात कही है. उन्होंने यह भी कहा कि देश में इस वक्त काल्पनिक सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का भ्रम फैलाए जाने का काम हो रहा है. बता दें कि अंसारी इससे पहले भी भारत में असहिष्णुता बढ़ने का बयान दे चुके हैं.
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5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी पर विपक्ष के हमले का एक आधार लंबे समय से अल्पसंख्यकों को डराने का रहा है. इसके अलावा, मोदी सरकार और बीजेपी पर हमले के लिए हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिशें, सीएए-एनआरसी जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाया जाता है. पूर्व उपराष्ट्रपति के इस बयान को विपक्षी दल चुनावों में जरूर इस्तेमाल करेंगे. खास तौर पर माना जा रहा है कि यूपी चुनावों में तो असहिष्णुता बढ़ने के मामले की फिर से एंट्री शायद अब हो ही जाए.
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यह कोई पहली बार नहीं है कि जब पूर्व उपराष्ट्रपति ने इस तरह का बयान दिया हो. मोदी सरकार में अल्पसंख्यकों के असुरक्षित होने और असहिष्णुता बढ़ने का हवाला वह पहले भी दे चुके हैं. हालांकि, इसका विधानसभा चुनावों पर कोई दूरगामी असर होगा, इसकी संभावना कम ही है. यह जरूर है कि विपक्षी दलों को बीजेपी और मोदी सरकार को घेरने के लिए एक बहाना जरूर मिल गया है.