डीएनए हिंदी: हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनावी घोषणा पत्र लॉन्च कर दिया है. हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों पर अरविंद केजरीवाल ने कुल 67 प्रत्याशी उतारे हैं. वह अपनी तरफ से पूरे मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने पर तुले हुए हैं लेकिन जमीन पर स्थिति ऐसी नजर नहीं आ रही है.

सिर्फ 5 सीटें ऐसी हैं, जहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बीजेपी या कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ सकते हैं. ऐसा भी हो सकता है कि ये महज वोटकटवा के तौर पर खुद को इस चुनाव में दर्ज करा पाएं. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि इन नेताओं के पास पर्याप्त जनसमर्थन है, जो सियासी खेल बिगाड़ भी सकते हैं.

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ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि अरविंद केजरीवाल का सारा जोर गुजरात पर है. अगर हिमाचल में अरविंद केजरीवाल मेहनत करते तो हो सकता था कि बेहतर नतीजे आते. पड़ोसी राज्य में उनकी सरकार है, जिसका सीधा असर चुनाव पर पड़ सकता था. आइए जानते हैं AAP के उन 5 उम्मीदवारों के बारे में जो बेहतर प्रत्याशी साबित हो सकते हैं.

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हिमाचल प्रदेश में अरविंद केजरीवाल की कैंपेनिंग.

राजन सुशांत 

राजन सुशांत फतेहपुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. वह बीजेपी के पूर्व सांसद रह चुके हैं. अब विधानसभा में अपना सियासी भाग्य आजमा रहे हैं. इनकी गिनती एक समय में बीजेपी के तेजतर्रार नेताओं के तौर पर होती है. उन्होंने आखिरी बार 2021 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था. उन्हें 12,927 वोट मिले थे और वह तीसरे स्थान पर रहे थे. इस चुनाव में विजेता भवानी सिंह पठानिया को कुल 24,499 वोट मिले थे. 2017 के विधानसभा चुनावों में, ये निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरे थे लेकिन महज 6,205 वोटों पर सिमट गए थे.

राजन सुशांत.

2014 के लोकसभा चुनावों में ये AAP के संयोजक रहे थे. अंदरुनी कलह के बाद पार्टी से नाराज होकर इस्तीफा दिया था. फिर एक बार AAP ने इन्हें मना लिया है और टिकट दिया है. 2014 में कुल 24,430 वोट मिला था. ऐसा माना जा रहा है कि वह एक बार फिर अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं. राजन सुशांत इन दिनों खासे सक्रिय हैं और पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं. उनके बारे में कहा जा रहा है कि ये आम आदमी पार्टी के इकलौते ऐसे उम्मीदवार हैं जो जीत दर्ज कर सकते हैं.

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मनीष ठाकुर

मनीष ठाकुर पांवटा साहिब से चुनावी समर हैं. ये युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इस विधानसभा सीट पर 4 बागियों ने बीजेपी का खेल बिगाड़ा है. मनीष ठाकुर आम आदमी पार्टी को मजबूत कर रहे हैं. उनका मुकाबला मौजूदा विधायक और मंत्री सुखराम चौधरी और किरणेश जंग से है. मनीष एक्टिव नेता माने जाते हैं और अपने विधानसभा क्षेत्र में खासे सक्रिय रहे हैं. 

मनीष ठाकुर.

मनीष ठाकुर इस विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे उठाते रहे हैं. यह विधानसभा चारों तरफ से नदियों से घिरा है लेकिन लंबे समय से जल संकट का सामना कर रहा है. युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने 11 साल से यहां पर पकड़ बनाई है. ऐसे में मनीष भी इस चुनाव में एक फैक्टर हो सकते हैं. 

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हरमेल धीमान

हरमेल धीमान कसौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. यह सीट अनुसूचित जाति के आरक्षित है. उनके सामने परिवार कल्याण मंत्री राजीव सैजल और कांग्रेस उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी हैं. हरमेल धीमान की नजर बीजेपी और कांग्रेस कैडर पर है जो कथित तौर पर सैजल और सुल्तानपुरी दोनों से नाराज हैं.

हरमेल धीमान

धीमान कई साल से बीजेपी के साथ थे, इसलिए वह बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के समर्थन का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि कसौली विधानसभा क्षेत्र में पिछले पांच साल में कोई विकास नहीं हुआ. कांग्रेस प्रत्याशी खामोश रहे, केवल चुनाव के समय ही सामने आए. ऐसे में उन्हें जनता ज्यादा तरजीह देगी.

धर्मपाल चौहान
धर्मपाल चौहान सोलानी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार हरदीप सिंह बावा और मौजूदा विधायक लखविंदर राणा से कड़ी टक्कर मिलने वाली है. लखविंदर राणा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए हैं. बीजेपी के बागी के एल ठाकुर के साथ बीजेपी का एक बड़ा तबका आ गया है. वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

धर्मपाल चौहान.

धर्मपाल चौहान की नजर दोनों खेमे के नाराज मतदाताओं पर है. उनका अपना वोटबैंक भी है, क्योंकि उन्होंने 2015 में खेड़ा वार्ड से कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार के तौर पर जिला परिषद का चुनाव जीता था और सोलन जिला परिषद के अध्यक्ष बने थे. वह दावा कर रहे हैं कि असरी लड़ाई उनके और केएल ठाकुर के बीच है. 

जबना कुमारी

जबना कुमारी नाचन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं. वह हिमाचल प्रदेश की सबसे युवा पंचायत सरपंच रह चुकी हैं. उनकी नजर बीजेपी और कांग्रेस दोनों से नाराज मतदाताओं पर है. उन्हें उम्मीद है कि महिला मतदाता उनके साथ जाएंगी, क्योंकि उन्होंने अपनी पंचायत में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया था.

जबना कुमारी.

संसाधनों की कमी का सामना करने के बावजूद उन्हें बड़ी संख्या में वोट मिल सकते हैं. वह कहती हैं कि क्षेत्र की महिलाएं उनके साथ हैं, क्योंकि मौजूदा विधायक ने कोई वादा नहीं पूरा किया है. विधायक ने वादा किया था कि वह इस इलाके में एक कॉलेज खोलेंगे. ऐसा कुछ नहीं हुआ है.

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Himachal Pradesh Assembly Election 2022 Arvind Kejriwal AAP battle against BJP JP Nadda Amit Shah PM Modi
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हिमाचल में ये हैं AAP के 5 मजबूत स्तंभ, क्या तैयार कर पाएंगे सूबे में सियासी जमी
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो- Twitter/AAP)
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो- Twitter/AAP)

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हिमाचल में ये हैं AAP के 5 मजबूत स्तंभ, क्या अरविंद केजरीवाल तैयार कर पाएंगे सूबे में सियासी जमीन?