डीएनए हिंदी: भारतीय जनता पार्टी के गढ़ गुजरात में एक बार फिर से चुनावों ने दस्तक दे दी है. इस बार गुजरात का चुनाव भाजपा के लिए पिछले कई चुनावों से अलग होगा, इसकी वजह है राज्य में AAP की एंट्री. भाजपा की 'प्रयोगशाला' कहे जाने वाले गुजरात में अगले महीने होने वाले चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को AAP के अलावा सत्ता विरोधी लहर का भी सामना करना होगा. ऐसे में लगातार सवाल उठ रहे हैं क्या 'भगवा दल' लगातार सातवीं बार गुजरात फतह कर पाएगा या नहीं. आइए आपको गुजरात में भाजपा की ताकत क्या है और किन मोर्चों पर उसे समस्याओं से जूझना पड़ सकता है.
गुजरात में भाजपा की ताकत
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता. विरोधी भी यह मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो भाजपा का तुरुप का इक्का बने हुए हैं.
- आरक्षण को लेकर हुए आंदोलन के चलते 2017 के चुनावों में भाजपा को पाटीदार समुदाय के गुस्से का सामना करना पड़ा था, लिहाजा वह अब पाटीदारों तक अपनी पहुंच पर भरोसा कर रही है. पिछले साल सितंबर में भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाने और आरक्षण आंदोलन के अगुआ हार्दिक पटेल को अपने पाले में लाने का फैसला पार्टी के पक्ष में काम कर सकता है.
- भाजपा की गुजरात इकाई के पास बूथ स्तर तक एक मजबूत संगठनात्मक ढांचा है.
- सत्ताधारी भाजपा हिन्दुत्व, विकास और "डबल इंजन" की बदौलत तेज प्रगति के मुद्दों पर भरोसा कर रही है.
- खुद अमित शाह भाजपा की चुनावी तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं. उन्हें भाजपा का मुख्य रणनीतिकार भी कहा जाता है.
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भाजपा की कमजोरियां:
- भाजपा के पास एक मजबूत स्थानीय नेता की कमी है, जो प्रधानमंत्री मोदी की जगह भर सके.
- पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2014 से गुजरात में मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित तीन मुख्यमंत्री बन चुके हैं. नरेंद्र मोदी 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे.
- AAP और कांग्रेस द्वारा राज्य सरकार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने के अलावा, भाजपा को महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक संकट जैसे मुद्दों पर जनता का सामना करना पड़ सकता है.
- AAP के आक्रामक अभियान ने राज्य की शिक्षा प्रणाली और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में खामियां निकालने की कोशिश की है.
भाजपा के पास क्या अवसर?
- विपक्ष का कमजोर होना भाजपा को लगातार सात विधानसभा चुनाव जीतने का मौका साबित हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो भाजपा पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली वाम मोर्चे की उपलब्धि की बराबरी कर लेगी.
- मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का चुनाव प्रचार सुस्त नजर आ रहा है. कांग्रेस पार्टी के नेता, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में ज्यादा व्यस्त नजर आ रहे हैं.
- अगर भाजपा गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में आप को पांच से कम सीटों पर समेटने में सफल होती है तो उसके पास राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरने की अरविंद केजरीवाल की पार्टी की महत्वाकांक्षाओं को सीमित करने का मौका होगा.
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भाजपा के सामने ये है खतरा?
- हाल ही में मोरबी में हुए पुल हादसे में 135 लोगों की जान चली गई. भाजपा की चुनावी सफलता में यह आड़े आ सकती है.
- मजबूत केंद्रीय नेतृत्व के कारण भाजपा का भीतर अंदरूनी कलह काफी हद तक दबा हुआ है लेकिन हार से दरारें खुलकर सामने आ सकती हैं.
- त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सत्तारूढ़ दल को बहुमत हासिल करने के लिए सहयोगी ढूंढना मुश्किल हो सकता है.
- अगर AAP कुछ जगहों पर जीत हासिल करने में कामयाब रहती है तो यह भाजपा के लिए चुनौती खड़ी कर सकती है. 2002 के बाद से हर चुनाव में भगवा पार्टी की सीटों की संख्या में गिरावट आ रही है. उसने 2002 में 127, 2007 में 117, 2012 में 116 और 2017 में 99 सीटें जीती थीं.
(इनपुट- भाषा)
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