डीएनए हिंदी : राजनाथ सिंह उम्र के सत्तरवें वसंत को पार कर चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी में उनकी ख़ास जगह बनी हुई है. केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी में सत्तर से अधिक के बहुत कम नेता हैं जो एक्टिव पॉलिटिक्स में उसी रुतबे और अंदाज़ से बरक़रार हैं जिस तरह वे सालों पहले थे. इन नेताओं में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू के साथ-साथ राजनाथ सिंह और हेमामालिनी शामिल हैं. क्या कारण है कि भारतीय जनता पार्टी के अन्य नेता जिस वक़्त अमूमन सेवा निवृत हो जाते हैं, राजनाथ सिंह नाबाद चल रहे हैं? जानते हैं विस्तार से -
राजनाथ सिंह ने निभाई थी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने में मुख्य भूमिका
लोकसभा में लगातार नंबर 2/3 स्थान के नेता रहे राजनाथ सिंह अपने भाषणों और अपने सॉफ्ट रुख वजह से जाने जाते हैं. यह कम लोगों को मालूम होगा कि उन्होंने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने में मुख्य भूमिका निभाई थी. माना जाता है कि राजनाथ सिंह में भिन्न विचार के लोगों को एक मत करने का विशेष गुण है. उन्होंने 2013 में भाजपा के प्रधानमंत्री उमीदवार के चुने जाने से पहले पार्टी के तमाम बड़े नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, रवि शंकर प्रसाद, बी सी खंडूरी, जसवंत सिंह सभी को इस ख़ातिर मनाया कि अगर प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी न सही, नरेंद्र मोदी को कोई बड़ी ज़िम्मेदारी दी जानी चाहिए.
बार-बार रहे हैं प्रधानमंत्री के रक्षा-कवच और विश्वासभाजक
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हर बारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार रक्षा-कवच बने रहे हैं. 2002 में गुजरात दंगे से लेकर हाल में किसान आंदोलन तक राजनाथ सिंह हमेशा प्रधानमंत्री के समर्थन में रहे हैं. वे प्रधानमंत्री के विश्वासभाजक माने जाते हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और दो बार भाजपा अध्यक्ष रहे राजनाथ सिंह के शानदार राजनैतिक करियर के पीछे की एक वजह यह भी मानी जाती है.
गोरखपुर में फिजिक्स के प्रोफेसर रहे थे राजनाथ
1964 में संघ के साथ जुड़ने वाले राजनाथ मूलतः उत्तर प्रदेश के चंदौली ज़िले से हैं. राजनीति में आने से पहले वे गोरखपुर में फिजिक्स के प्राध्यापक थे. राजनाथ सिंह को भारतीय जनता पार्टी की मूलभूत हिंदुत्ववादी विचारधारा को जगाने के लिए भी जाना जाता है. 2009 के चुनावों में पार्टी को वापस हिंदुत्व विचारधारा पर लाते हुए उन्होंने किसी भी कीमत पर राम मंदिर बनने का वादा किया था. हलांकि 2009 में पार्टी को बुरी तरह हार मिली थी पर 2014 में भाजपा भारी बहुमत से जीतकर आई थी और राजनाथ सिंह ने गृह मंत्री पद की शपथ ली थी.
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