डीएनए हिंदी. राजनीति हर किसी को समझ नहीं आती. फिर भी राजनीति के दंगल में जब चुनाव का खेल होता है तो हर किसी की भागीदारी सुनिश्चित करना जरूरी है. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ये और भी जरूरी है कि जनता की आवाज बुलंद हो. इसी आवाज को बुलंद करने के लिए नोटा का विकल्प अहम भूमिका निभाता है. चुनाव का माहौल है. वोट देना जरूरी है, मगर कोई भी उम्मीदवार आपको अपनी उम्मीदों पर खरा उतरता नहीं दिखता है, तो आप नोटा का विकल्प चुन सकते हैं. NOTA यानी 'नान ऑफ द एबव' यानी इनमें से कोई नहीं है.
कैसे काम करता है नोटा विकल्प
हर ईवीएम में उम्मीदवारों के विकल्प की सूची में सबसे आखिर में नोटा का विकल्प दिया जाता है. इस व्यवस्था से पहले नेगेटिव वोट डालने के लिए वोटर को पोलिंग बूथ अधिकारी को इसके बारे में सूचित करना होता था. नोटा का विकल्प आने के बाद से पोलिंग बूथ अधिकारी को सूचना दिए जाने की जरूरत नहीं रह गई है. आप सीधे जाकर नोटा का विकल्प दबाकर उम्मीदवारों के प्रति नापसंदगी जाहिर कर सकते हैं.
पहली बार भारत में नोटा का इस्तेमाल
नोटा के विकल्प का इस्तेमाल सबसे पहले सन् 2013 में पांच विधानसभा चुनावों में हुआ था. लगभग 15 लाख लोगों ने इस विकल्प का इस्तेमाल किया था. हालांकि ये आकंड़ा कुल वोटर्स की संख्या का सिर्फ 1.5 प्रतिशत था. रिपोर्ट्स के मुताबिक नोटा का बटाने दबाने वालों में दिल्ली के 50 हजार, छत्तीसगढ़ के 3.56 लाख, मध्य प्रदेश के 5.9 लाख और राजस्थान के 5.67 लाख वोटर शामिल थे.
क्या नोटा वोटों की होती है गिनती ?
चुनाव आयोग की मानें, तो नोटा वोटो की भी गिनती होती है, लेकिन इन्हें इनवैलिड वोट माना जाता है. इस तरह से नोटा पर डाला गया वोटा चुनाव के नतीजों को प्रभावित नहीं करता है. नोटा के जरिए ये संदेश जरूर पहुंचता है कि कितने मतदाता किसी भी प्रत्याशी को नहीं चाहते हैं. उम्मीदवार के लिए नतीजों की गिनती उसे मिले वोटों के आधार पर ही होती है.
क्यों है नोटा का विकल्प
जब नोटा की व्यवस्था नहीं थी, तब अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए मतदाता वोट डालने ही नहीं जाते थे. ऐसे में काफी संख्या में वोट बर्बाद हो जाते थे. हर व्यक्ति वोट के अधिकार का इस्तेमाल करे, इसके लिए नोटा का विकल्प जरूरी समझा जाता है. इससे चुनाव प्रक्रिया में सबकी भागीदारी होती है और मतदाता को अपनी नापसंदगी जाहिर करने का मौका भी मिलता है.
कौन से अन्य देश करते हैं नोटा का इस्तेमाल
कोलंबिया, यूक्रेन, ब्राजील, बांग्लादेश, फिनलैंड, स्पेन, स्वीडन, चिली, फ्रांस, बेल्जियम और ग्रीस में चुनावों के दौरान नोटा का विकल्प दिया जाता है.
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