डीएनए हिन्दी: हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम (Himachal Pradesh Election Result) ने सबको चौंका दिया है. मुश्किल में दिखने वाली कांग्रेस (Congress) को बहुमत दिखता मिल रहा है. एक एग्जिट पोल को अपवाद मान लें तो सारे के सारे पोल प्रदेश में या तो बीजेपी की सरकार बनवा रहे थे या कड़ी टक्कर दे रहे थे. लेकिन, इन तमाम अकटलों पर अब विराम लग गया है. हिमाचल में अब कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है. आइए यह समझने की कोशिश करते हैं कि हिमाचल की जीत के पीछे किसका सबसे बड़ा हाथ है.
भले ही बीजेपी की सरकार से हिमाचल की जनता नाराज थी लेकिन आपसी कहल की वजह से कांग्रेस भी कमजोर दिख रही थी. दशकों तक हिमाचल की राजनीति के पुरोधा रहे राजा वीरभद्र सिंह प्रदेश में कांग्रेस के सर्वमान्य चेहरा रहे. प्रदेश की राजनीति में उनके नेतृत्व को किसी ने चुनौती नहीं दी. राजा साहब की मौत के बाद हिमाचल में कांग्रेस में कहल का दौर शुरू हो गया. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री और हिमाचल से आने वाले ताकतवर नेता आनंद शर्मा ने गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. वह जी23 के अहम हिस्सा थे. यानी प्रदेश में कोई एक मत नहीं था. कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने चुनाव से ठीक पहले भारत जोड़ो यात्रा शुरू कर दी थी. यानी वह हिमाचल के नदारद थे. तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच पार्टी को एक करने की जिम्मेवारी किसी को तो लेनी ही थी. यह जिम्मेदारी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने ली.
प्रियंका ने संभाली चुनावी कमान
शुरू में बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने इसका मजाक उड़ाया. लेकिन, प्रियंका अडिग रहीं. उन्होंने प्रदेश के सभी नेताओं से बात की. सभी को एक किया. एक साथ काम करने के लिए उत्साहित किया. जिन कार्यकर्तओं का मनोबल टूट गया था, उनमें फिर से आत्मविश्वास जगाया.
माइक्रो, मैक्रो मैनेजमेंट पर एक साथ काम किया
प्रियंका ने राहुल की गैरमौजूदगी में माइक्रो एंड मैक्रो मैनेजमेंट, दोनों पर काम किया. उन्होंने इस छोट से प्रदेश में 8 बड़ी रैलियां कीं. कई छोटे कार्यक्रमों का हिस्सा बनीं. सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि वह एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह कांग्रेस के डोर-टू-डोर कैंपेन का हिस्सा बनीं. यह कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए उत्साह बढ़ाने वाला कदम था. प्रियंका एक इस अभियान ने कुछ ही दिनों में प्रदेश की राजनीति की तस्वीर बदल दी.
बीजेपी की हर रणनीति नााकम बनाया
कांग्रेस जबर्दस्त फाइट में आ गई. बीजेपी को उसका आभास हो गया. भाजपा ने भी पूरी ताकत झोंक दी. बीजेपी के लिए भी यह प्रतिष्ठा का सवाल था. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा हिमाचल से ही आते हैं. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी हिमाचल से आते हैं. बीजेपी ने देशभर हजारों कार्यकर्ताओं को हिमाचल में कैंपेन के लिए उतार दिया. कांग्रेस ने इससे उलट काम किया. प्रियंका ने प्रदेश के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में ही उत्साह भर दिया. सब जी-जान से चुनाव में उतर गए. रिजल्ट सामने आ गया. प्रियंका की मेहनत से हिमाचल में कांग्रेस सरकार बनाती नजर आ रही है.
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हिमाचल के लोगों को इंदिरा की याद दिलाई
प्रियंका ने अपनी वाकपटुता और संगठन कौशल से सबको प्रभावित किया है. उन्होंने अपनी रैलियों में पुराने लोगों को इंदिरा गांधी की याद दिलाई. नौजवानों को भाजपा की कमियों से जोड़ा और कांग्रेस को जीत दिलाई. यह सब काम उन्होंने चुपके-चुपके किया.
क्या कांग्रेस में प्रियंका को मिलेगी और बड़ी जिम्मेदारी?
अब सवाल उठता है कि प्रियंका का कांग्रेस में भविष्य कैसा होगा. सालों बाद कांग्रेस ने डेमोक्रेटिक तरीके अपना अध्यक्ष चुना है. प्रियंका फिलहाल कांग्रेस की महासचिव हैं. इस जीत के बाद पार्टी में उन्हें और बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है.
बताया जा रहा है कि हिमाचल में अब भी उनकी पैनी नजर है. वह जीतने वाले विधायकों को बधाई और सतर्क रहने की सलाह भी दे रही हैं. यानी चुनाव के बाद भी वह मैदान में डटी हुई हैं. अब देखना है कि प्रियंका की इस उपलब्धि को कांग्रेस कैसे लेती है.
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