डीएनए हिन्दी: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में यह साफ हो चुका है कि अब कांग्रेस की सरकार बन रही है. प्रदेश में हर बार सरकारें बदलती रही हैं. यह परंपरा इस बार भी बरकरार रही. वर्तमान में कांग्रेस मुश्किल परिस्थितियों से गुजर रही है. पार्टी के अंदर और बाहर दोनों मोर्चों पर उसके सामने कई चुनौतियां हैं. पार्टी के स्टार प्रचारक राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं. फिर भी हिमाचल में कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है. आइए हम कांग्रेस की इस जीत के मायने को समझने की कोशिश करते हैं.
गुजरात और दिल्ली एमसीडी में कांग्रेस को मिली करारी हार के बीच हिमाचल से कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर आ रही है. 68 सदस्यीय विधानसभा में खबर लिखे जाने तक 40 सीटों पर कांग्रेस को बढ़त थी. वहीं, बीजेपी 25 सीटों पर आगे थी. 3 सीटों पर निर्दलीय बढ़त बनाए हुए थे. वहीं जोर-शोर से चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी का खाता खुलता नहीं दिख रहा है.
हिमाचल में कांग्रेस का मजबूत संगठन
अगर कोई बड़ा उठापटक न हो तो कांग्रेस को बहुमत मिलना तय लग रहा है. चुनाव में जाने से पहले कांग्रेस मुश्किल में थी. उसके पास प्रदेश में चहेरा नहीं था. लेकिन, इन तमाम कमियों के बावजूद आज भी हिमाचल उन राज्यों में से है जहां कांग्रेस का संगठन जिंदा है. हां,कांग्रेसी कार्यकर्ता थोड़े हाताश, निराश जरूर थे लेकिन प्रियंका गांधी ने उनमें जान फूंक दी और बाजी पलट गई.
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बीजेपी की कहल का मिला फायदा
कांग्रेस को हिमाचल में बीजेपी की अंदरुनी कलह का भी फायदा मिला. नाम न बताने की शर्त पर बीजेपी के एक सीनियर नेता ने बताया कि प्रदेश की सियासत को लेकर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और जयराम ठाकुर में खींच-तान चल रही थी. दोनों एक-दूसरे के समर्थकों को हराने में लगे थे. चुनाव में बड़ी संख्या में बीजेपी के नेता बागी के रूप में मैदान में उतरे. उन्हें मनाने में संगठन नाकाम रहा. यहां तक की प्रधानमंत्री मोदी ने खुद फोन कर बागियों से चुनाव न लड़ने को कहा. पीएम के फोन के बावजूद भी बागी नहीं माने और मैदान में डटे रहे.
हिमाचल में AAP कांग्रेस को डेंट नहीं कर पाई
हिमाचल में कांग्रेस के लिए एक और अच्छी बात रही. देश की राजनीति में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जहां-जहां जा रही है, कांग्रेस को डेंट कर रही है. हिमाचल में वह खास नुकसान नहीं पहुंचा पाई. आम आदमी पार्टी को अभी तक 1.11 फीसदी ही वोट मिला है. उसके ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है. पिछले कुछ चुनावों में देखें तो पंजाब, दिल्ली यहां तक गुजरात में भी केजरीवाल की पार्टी ने कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया है. AAP हिमाचल में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने में नाकाम रही.
बीजेपी के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी
एक और बड़ी बात. हिमाचल की यह परंपरा रही है कि यहां हर बार सरकार बदल जाती है. इस बार भी बीजेपी सरकार के खिलाफ जबर्दस्त एंटी-इनकंबेंसी थी. प्रदेश में करप्शन बड़ा मुद्दा था. कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके थे. इसका भी फायदा कांग्रेस को मिला है.
दलित वोटरों का कांग्रेस के प्रति रुझान
हिमाचल में अनुसूचित जाति के वोटरों की बड़ी संख्या है. करीब 25 फीसदी वोटर एससी हैं. सरकार बनाने में इनका अहम रोल है. सालों बाद मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस को दलित अध्यक्ष मिला है. स्वाभाविक है दलितों का कांग्रेस के प्रति रुझान बढ़ा होगा. इसका भी फायदा कांग्रेस को मिलता नजर आ रहा है.
प्रियंका गांधी का लाजवाब संगठन कौशल
इस बार हिमाचल में प्रियंका गांधी का चुनावी कौशल देखने को मिला. प्रियंका ने प्रदेश के सभी कार्यकर्ताओं से बात की. उनकी नाराजगी दूर की. उनका आत्मविश्वास बढ़ाया. उन्होंने प्रदेश में 8 बड़ी रैलियां की. आम कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस के डोर-टू-डोर कैंपेने का हिस्सा बनीं. इस जीत में प्रियंका का बड़ा योगदान रहा.
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हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत में मददगार साबित हुए ये फैक्टर्स!