डीएनए हिन्दी: गुजरात का वीरमगाम (Viramgam), जिसे 'गेटवे ऑफ काठियावाड़' भी कहा जाता है, एक ऐतिहासिक कस्बा है. इसका एक गौरवशाली इतिहास रहा है. आजकल यह कस्बा पाटीदार आंदोलन के नेता रहे हार्दिक पटेल (Hardik Patel) की वजह से चर्चा में है. 2022 की शुरुआत तक हार्दिक पटेल गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष थे. इसी साल मई में उन्होंने कांग्रेस को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया. हार्दिक पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें वीरमगाम से अपना कैंडिडेट घोषित किया है. ध्यान रहे कि पाटीदार नेता हार्दिक ने पिछले चुनावों में कांग्रेस का समर्थन किया था. चुनाव बाद वह कांग्रेस पार्टी में शामिल भी हो गए थे. गौरतलब है कि 29 साल के हार्दिक वीरमगाम के ही रहने वाले हैं. उन्होंने यहां की जनता से वीरमगाम को जिला बनवाने का वादा भी किया है.
2017 में वीरमगाम से कुल 22 कैंडिडेट मैदान में थे. उस वक्त कांग्रेस ने लाखाभाई भारवाड़ को अपना उम्मीदवार बनाया था वहीं, तेजश्री पटेल बीजेपी के टिकट पर मैदान में थे. 2017 में कुल 22 उम्मीदवार ताल ठोक रहे थे. हार्दिक के समर्थन की वजह से लाखाभाई ने तेजश्री पटेल को पटकनी दी थी. जहां लाखाभाई को कुल 76,178 वोट मिले थे, वहीं तेजश्री पटेल को 69,630 वोट मिले. यह सीट कांग्रेस की झोली में गई. इस चुनाव में ज्यादातर उम्मीदवारों के जमानत जब्त हो गए थे.
यह भी पढ़ें: गुजरातियों से अरविंद केजरीवाल का वादा- सरकार बनी तो लागू करेंगे ओल्ड पेंशन स्कीम
इस बार पासा पलट गया है. पिछले चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करने वाले हार्दिक पटेल इस बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर खुद चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस ने एक बार फिर लाखाभाई भारवाड़ पर भरोसा जताया है. आम आदमी पार्टी ने इस बार अमर सिंह ठाकोर को टिकट दिया है.
पिछले 5 चुनाव की कहानी
आइए हम वीरमगाम के पिछले 5 चुनावों की समीक्षा करते हैं. 2002 में गुजरात दंगों के बाद विधानसभा चुनाव हुए थे. उस वक्त नरेंद्र मोदी प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. दंगों के बाद 'हिन्दू हृदय सम्राट' की उनकी छवि सामने आई थी. 2002 के विधानसभा चुनाव में वीरमगाम बीजेपी ने बाजी मारी थी. बीजेपी के वजुभाई परमाभाई ने कांग्रेस के प्रेमजीभाई शिवाभाई वडलानी को हराया था. जहां, वजुभाई को 53,766 वोट मिले थे, वहीं प्रेमजीभाई को कुल 50,702 वोट.
यह भी पढ़ें: 2002 Gujarat riots पर बोले अमित शाह, सबक सिखाने के कारण शांत हुआ गुजरात
2007 में बीजेपी ने एक बार फिर इस सीट पर अपना परचम लहराया. बीजेपी ने इस बार कामाभाई राठौर को मैदान में उतारा. कांग्रेस की तरफ से इस बार जगदीशभाई सोमाभाई पटेल मैदान में थे. जहां कामाभाई को 47,643 वोट मिले, वहीं कांग्रेस के जगदीश भाई को महज 44,327 वोटों पर संतोष करना पड़ा.
2012 के विधानसभा चुनाव में पासा पलट गया. इस बार कांग्रेस ने बीजेपी को पटकनी दे डाली. कांग्रेस के तेजश्री पटेल ने बीजेपी के परागजीभाई नारनभाई पटेल को पराजित किया. उस चुनाव में तेजश्री पटेल को 84,930 वोट मिले थे वहीं बीजेपी के परागजीभाई को 67,947 वोटों पर संतोष करना पड़ा.
2017 में एक बार फिर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. लेकिन, इस बार 2012 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके तेजश्री पटेल बीजेपी की तरफ से ताल ठोक रहे थे. वहीं, कांग्रेस ने लाखाभाई भारवाड़ को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में लाखाभाई के हाथों बीजेपी के तेजश्री को हार झेलनी पड़ी थी.
गौरवशाली अतीत
वीरमगाम का गौरवशाली अतीत रहा है. वीरमगाम रियासत की स्थापना 1484 में की गई थी. कहा जाता है कि इसकी स्थापना उस वक्त राजा वीमरदेव वाघेला ने की थी. उन्हीं के नाम पर इसका नाम वीरमगाम पड़ा. इस कस्बे की स्थापना के पहले से ही यहां ऐक ऐतिहासिक तालाब था. बताया जाता है कि उस वक्त इस इलाके में चालुक्य राजवंश के जयसिम्हा सिद्धराजा का शासन था. उन्होंने अपनी मां मिनलदेवी की स्मृति में करीब सन 1090 में यहां तालाब का निर्माण कराया था. शुरू में इस तालाब का नाम 'मिनलसर' था. बाद में जिसका अपभ्रंश मुनसर हो गया.आज हम इसे मुनसर तालाब के नाम से जानते हैं. इसकी प्रसिद्धि पूरे गुजरात में है. बताया जाता है कि तालाब के आसपास सिद्धराजा ने कई मंदिरों का निर्माण करवाया था.
बदहाल वर्तमान
देश के विकसित शहरों में से एक अहमदाबाद जिले का हिस्सा और सिर्फ 60 किलोमीटर की दूरी होने के बावजूद वीरमगाम में आज कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव देखने को मिल रहा है. औद्योगिक रूप से विकसित गुजरात का हिस्सा होने के बावजूद यहां उद्योगों का अभाव है. रोजगार की तलाश में नौजवानों को दूसरे शहरों में पलायन करना पड़ रहा है.
कस्बे में उच्चशिक्षण संस्थाओं की भारी कमी है. यहां के बच्चे पढ़ाई के लिए राजकोट और अहमदाबाद जाने को मजबूर हैं. वीरमगाम की सड़कें भी बेहाल हैं. यहां अच्छे अस्पतालों की भी कमी है. इन तमाम कमियों के बीच वीरमगाम की जनता इस बार अपने नेता का चुनाव करेगी.
वीरमगाम भले ही अहमदाबाद जिले का हिस्सा हो लेकिन यह विधानसभा सुरेंद्रनगर लोकसभा के अतंर्गत आता है. फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. यहां से बीजेपी के महेंद्र मुंजपारा सांसद हैं.
वीरमगाम कुल 2,98,936 वोटर हैं. इनमें से 1,54,449 वोटर पुरुष और 1,44,448 महिला मतदाता हैं. इस सीट पर दलित वोटरों की संख्या करीब 11 फीसदी है,वहीं 1 फीसदी वोटर अनुसूचित जनजाति के हैं. इस सीट पर सबसे ज्यादा ठाकोर और पाटीदार समाज के वोटर हैं. दलित, मुस्लिम और कोली समाज के वोटर भी निर्णायक भूमिका में हैं. यहां वोटिंग 5 दिसंबर को है. अब 8 दिसंबर को पता चलेगा कि वीरमगाम की जनता बीजेपी और कांग्रेस में से किस पर भरोसा जताती है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
गौरवशाली इतिहास और बदहाल वर्तमान वाले वीरमगाम से इस बार पूरी होगी BJP की 'हार्दिक' इच्छा?