डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार और सीटों के नामों की घोषणा के साथ ही इतिहास के झरोखों से दिलचस्प आंकड़े भी सामने आ रहे हैं. हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिस करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की है, वह सीट भी ऐसे ही दिलचस्प आंकड़ों और इतिहास से जुड़ी है.
सिर्फ एक बार जीते हैं बीजेपी और कांग्रेस
मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट के बारे में प्रचलित है कि यहां से हमेशा कोई यादव ही जीतता है. ऐसा कहने के पीछे कई आंकड़े भी गवाह के रूप में सामने आते हैं. रिकॉर्ड के अनुसार साल 1957 में इस सीट पर शुरू हुए चुनावों के बाद बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों को सिर्फ एक बार जीत हासिल हुई है.
यादव प्रत्याशी को मिलती है जीत
करहल सीट पर साल 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पार्टी लोकदल से बाबू राम यादव खड़े हुए थे. उस चुनाव में बाबू राम यादव की जीत के बाद ऐसा सिलसिला शुरू जिसके बाद अब तक यहां से यादव प्रत्याशी ही जीतते आ रहे हैं. 1985 से लेकर 2017 तक 9 विधानसभा चुनावों में करहल में पार्टी भले ही बदल गई हो लेकिन जीतने वाला प्रत्याशी हमेशा यादव ही होता है.
पांच बार जीते बाबू राम यादव
बाबू राम यादव ही यहां पांच बार विधायक रहे. उन्होंने 1985, 1989, 1991,1993, 1996 का चुनाव जीता. मजेदार बात यह है कि उन्होंने बेशक इस दौरान पार्टियां बदलीं, लेकिन नाम और चेहरा उन्हीं का रहा और उन्हें जीत भी मिलती रही. पहली बार जहां बाबू राम लोकदल से खड़े हुए थे, वहीं दूसरी बार जनता दल तो आखिर में दो बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर उन्होंने जीत दर्ज कराई.
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साल 2002 में आए सोबरन सिंह यादव
इसके बाद साल 2002 के चुनाव में इस सीट पर पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की. जीतने वाले थे प्रत्याशी सोबरन सिंह यादव. इसके बाद सोबरन सिंह यादव ने साल 2007 में अगला चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की. 2012 और 2017 के चुनाव भी सोबरन सिंह यादव सपा टिकट पर जीते. इस बार सोबरन सिंह यादव वाली इसी सीट से अखिलेश यादव खड़े हो रहे हैं.
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