• राजीव कुमार

"हमारा दर्द ओ गम है ये इसे क्यूं आप सहते हैं 

ये क्यूं आंसू हमारे आपकी आंखों से बहते हैं

गमों की आग हमने खुद लगाई, आप क्यूं रोए

जो हमने दास्तां अपनी सुनाई आप क्यूं रोए."

राज खोसला, मदन मोहन, मनोज कुमार, साधना, राजा मेंहदी अली खान जिन्होंने गीत लिखा ये सारे दिग्गज एक साथ.  फिल्म थी "वो कौन थी" (1964). विल्कि कोलिन की कहानी "द वूमेन इन व्हाइट" का हिंदी पटकथा के रूप में एडेप्टेशन थी यह फिल्म. नायिका साधना के इर्द गिर्द  रहस्य का ताना-बाना था. यह हुनर राज खोसला ने अपने मेंटर गुरुदत्त से सीखा था. उन्होंने बाद में साधना के साथ ही 'मेरा साया' में भी अपने इस हुनर का इस्तेमाल किया पर "तू जहां जहां चलेगा, मेरा साया साथ होगा" को वो सम्मान नहीं मिल सका जो "आप क्यूं रोए" को कालांतर में मिला.

"वो कौन थी" की कहानी में गुत्थी सुलझाता  हुआ और अपनी उस तलाश का दंश झेलता हुआ नायक और रहस्यमयी नायिका बेमिसाली से परत दर परत खुलते हुए. गाने की  पंक्तियों पर होठों की मोनालिसा मुस्कान और आंखों की नाटकीय संगति का अपूर्व मिसाल पेश कर पायी थीं साधना. 

गाने ने इतिहास रचा

इस गाने ने इतिहास रचा था. साधना का जादू पूरी पीढ़ी पर था और हिंदी समझ सकने वाले लोगों पर तो रिलीज होते ही आत्मा तक असर कर गया था यह गीत. बाद में अनुवाद और सब टाइटल के जरिए करोड़ों लोगों तक पहुंचा यह गीत. कहते हैं पूरे हिंदुस्तान की कौन कहे, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अरब मुल्कों में भी कभी सबके जुबान पर था यह गीत. कोलकाता और  ढाका के ऑडिटोरियम की दो घटनाएं ऐसी वर्णित हैं कि जब इसकी प्रस्तुति मंचों से की गई, बहुत देर तक हजारों लोग उठ खड़े हुए और करतल ध्वनि में तालियां बजती रहीं. नायिका साधना ने कुछ वर्ष बाद एक साक्षात्कार में कहा था, खुद पर ही विश्वास नहीं होता कि मैं हूं इस दृश्य - प्रस्तुति में, यह सौभाग्य मुझे ईश्वर ने दिया.

'तबाही तो हमारे दिल पर आई, आप क्यूं रोए' का टेक लेती काव्योक्ति, परदे पर आईने से बाहर निकल पूरा स्त्री आकार लेती साधना की छवि. लघु सी दिखनेवाली रहस्यमय किरदार नायक के आगे खुलते - खुलते बड़ी होती हुई.  कला की प्रस्तुति के लिए वो एक अजीम ओ शान और यादगार लम्हा. रहस्यों के परत दर परत परदे खुलते हुए. निर्देशक का मखमली हुनर हर दृश्य में दिखाई पड़ता हुआ.

कहते हैं मनोज कुमार का किरदार कला समीक्षकों और फिल्म पंडितों में उतर गया. मनोज कुमार की खोजी नजरों के वे शिकार हो गए लेकिन अंत में साधना के आभामंडल के कायल होकर कृति में प्रविष्ट हुए.  नायिका साधना के अक्स की तहें खुलने की अद्वितीय अभिनय क्षमता में पछाड़ खा रहा था नायक...

raajeev kumar

राज खोसला को नहीं मालूम था कि एक शाहकार जन्म ले रहा है

कैनवास ने विस्तार लिया. संगतराश , बुत, बुत परस्त, मौसिकीकार, नगमानिगार सभी अपने असली चेहरों में सामने आ गए और एक उलझी दास्तां के वास्तविक किरदार हो गए. राजा मेंहदी खान तबाही शब्द को बदल नहीं पाते और हारकर कहते हैं इसे ही रहने दीजिए. मदन मोहन रोक-टोक और कहा सुनी के कई प्रयासों के बाद इस धुन पर पहुंचते हैं. साधना अपनी नैसर्गिक  कला की विस्मृति नहीं चाहतीं. मनोज कुमार अपने चुप रहकर नायिका को पढ़ने के अंदाज पर टिके रहते हैं. राज खोसला को नहीं मालूम था कि एक शाहकार जन्म ले रहा है. मोर्फो जेनेसिस यानि संरचना विकास प्रक्रिया का अप्रतिम उदाहरण, परंतु सारे कला रूपों और कला के नियामकों ने गाना, दृश्य और अभिनय करती नायिका साधना को बहुत बड़ा कर दिया.

एक रहस्य जानने का इच्छुक प्रेमी पागलपन की परिधि में सिमटता हुआ और चेहरे से तिलिस्म के गिरह खोलती और दास्तां बयान करती नायिका. वस्तुतः कला की दुनिया के लिए बहुत बड़ी संपत्ति रही यह फिल्म. पीढियां देखेंगी और समझ सकने की कोशिश करेंगी.

यह भी पढ़ें : Pig Heart Transplant in Human: कुदरत का हर शय इंसानी जीवन को बचाने के काम आए

आस्था का संगीत से क्या है नाता?

राजीव कुमार लेखक हैं. फिल्मों पर अच्छी पकड़ रखते हैं.

(यहां दिये गये विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

Url Title
the wo kaun thi song that was loved across borders
Short Title
कभी सबके जुबान पर था यह गीत
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
wo kaun thi
Date updated
Date published