थोड़े शब्द और थोड़े स्वाद बदल जाते हैं, नहीं तो..

ये है लापसी, औ जो न सुने वो है हापसी.

चिंटूजी ने थाली में लापसी डालते हुए मुस्कराकर कहा और अपने काम में लग गए. अपने काम मतलब और लेयो,और लेयो. बीकानेर (Bikaner) मेंआप खाना भले ही अपनी भूख और डायट चार्ट से खाते हों लेकिन मनुहार का खाना अनिवार्य होता है. मनुहार मतलब पेटभर खा लेने केबावज़ूद मान रखने के लिए खाना. जो आपसे मनुहार करते हुए प्यार से कहते हैं- थोड़ा तो और लो.. ऐसे में यहां के सभी भोजन के साथ“मनुहार का भोजन” जुड़ जाता है.

विनित

Bizarre World : वह पार्क जहां रोमांस के मूड में भी देशभक्ति गाने चलते हैं.

गेहूं की बनती है लापसी 

स्वाद में गुलाबी मीठा लापसी बीकानेर (Bikaner) का ख़ास व्यंजन है जिसे कि यहां के लोग विशिष्ट आयोजनों और अतिथियों के आगमन पर बनाते हैं. गेंहू, देसी घी और गुड़ या चीनी से बनी लापसी अपने मीठेपन में एकदम ऊबाउ नहीं होती और बड़े आराम से पेटभर खायी जातीहै. रंग तो ऐसा कि जैसे बसंत थाली में उतर आया हो.

छुटपन में मां लपसी बनाया करती. वो चावल के आटे और दूध से बनी होती. हल्का गाढ़ापन लिए जिसे कि पापा नियमित तौर पर खाते. पापा को लपसी इतनी पसंद होती कि उस प्रतिरोध में हमने अपने भीतर स्वाद पनपने ही नहीं दिया.

बीकानेर में लापसी के साथ पकोड़ी खाने का चलन है जिसे बनाने के लिए दो घंटे पहले मूंग दाल भिगोते हैं. इसे हरी नमकीन चटनी औरसौंठ की मीठी चटनी के साथ खाते हैं. मुझे ये सब बहुत पसंद आया और अपनी मर्ज़ी से लेकर दोबारा खाया, बाक़ी मनुहारवाला हिस्सातो जुड़ ही गया.

 

(विनीत कुमार  लेखक हैं. मीडिया और सम्बन्धित विषय के प्राध्यापक हैं. लालित्यपूर्ण गद्य की वजह से असीम लोकप्रिय हैं. )

(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

 

 

 

 

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This rajasthani delicacy is worth a try
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ये है बीकानेरी लापसी
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Hindi
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Vineet kumar
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