देश के किसी भी महत्वपूर्ण किले का प्रवेश द्वार सीधा किले के भीतर नहीं खुलता है. वह कम से कम दो मोड़ के बाद ही किले में प्रवेशकरने के लिए राह देता है. आगरा, जोधपुर, जैसलमेर, चित्तौड़गढ़, कुम्भलगढ़ या जयपुर सहित किसी भी महत्वपूर्ण किले को उठाकर देख लीजिए, उसमें वास्तविक प्रवेश आप दो या तीन मोड़ के बाद ही पाते हैं. उसी तरह हम उत्तर भारतीय लोगों के लिए दक्षिण का दरवाजा पहली नजर में तो चेन्नई या बंगलोर में खुलता है, लेकिन वास्तव में वहचेन्नई से दो पड़ाव और बंगलोर से एक पड़ाव के बाद मैसूर में खुलता है. मैसूर वह जगह है जहां से आप तमिलनाडु, केरल और कर्नाटकके अंदरूनी हिस्सो में एक साथ प्रवेश कर सकते हैं.
वहीं से तमिलनाडु के प्रसिद्ध हिल स्टेशन ऊटी की राह फूटती है, जो आपको आगे ले जाकर खांटी तमिलनाडु कोयंबटूर में उतार देती है . वहां से आप चाहें तो बाएं तरफ तमिलनाडु में विस्तार पा सकते हैं और दाहिने तरफ आगे बढ़कर केरल में.
मैसूर से आप कोडगू होते हुए भी केरल में प्रवेश कर सकते हैं, जहां से वायनाड या कुन्नूर की राह फूटती है. इसी मैसूर से कोडगू(कूर्ग) होकर आप पश्चिमी घाट को पार करके पश्चिमी किनारे को पकड़ सकते हैं. से ऊपर की ओर मंगलोर, उडूपी, मुरुडेश्वर, कारवार औरगोवा की राह खुलती है या नीचे की तरफ आप कासरगोड होए हुए कुन्नूर, वायनाड, कालीकट और कोच्चि के रास्ते तिरुवनंतपुरम तकका सफर कर सकते हैं .
Himachal Tourism : नग्गर, निकोलस आर्ट गैलरी और मुहब्बत के सफ़हे
मैसूर दक्षिण कर्नाटक का दरवाजा है
मैसूर दक्षिण कर्नाटक का भी दरवाजा है. यहां से दिन भर की यात्रा में श्रवणबेलगोला, हेलिबेडू और वेलूर जाया जा सकता है और एकदूसरे दिन में आप मैसूर से ही सोमनाथपुर और दक्षिण काशी जा सकते हैं .
एक और दिन में आप बांदीपुर नेशनल पार्क देख सकते हैं और मत भूलिए कि इसी मैसूर में देश के दूसरे सबसे बड़े स्थापत्य कला केनमूने महाराजा पैलेस की भी उपस्थिति है, जो ताजमहल के बाद सबसे अधिक देशी पर्यटकों को आकर्षित करता है .
कहना न होगा कि इसी मैसूर से धर्मस्थला और श्रृंगेरी जैसे बड़े धार्मिक स्थलों की यात्रा भी आसानी से की जा सकती है. तो यदि ऐसे मैसूर में तीन दिन गुजारने का मौका मिले, फिर एक जश्न तो बनता ही है . है न ...!
तस्वीरें मैसूर से ...
(रामजी तिवारी लेखक हैं. इस यात्रा वृतांत को उनकी फेसबुक वॉल से लिया गया है. )
- Log in to post comments