पापा की परियों को दहेज मुक्त समाज भी चाहिए और उन्हें वेल सेटल्ड लाइफ भी चाहिए. ऐसे कैसे चलेगा बहनों ?
माने जीवन में कोई रिस्क भी नहीं लेना, संघर्ष नहीं करना, ऐसा दूल्हा भी चाहिए जो कमाऊ हो, जिसके पैसे पर बैठकर ऐश किया जा सके, शॉपिंग, मेला, गहना गुड़िया की चाहत पूरी होती रहे....
पापा को दहेज का रोना भी रोना है लेकिन शादी में दामाद सुनहरे तारों वाली शेरवानी पहनकर रजवाड़ों की तरह बारात भी लेकर आए ... ऐसे कैसे चलेगा पापा ?
इधर भावनाएं आहत होती हैं तो हों, पर कहना ये है मेरी परी बहनों कि दहेज सिर्फ बोलने से खत्म नहीं होगा, उसके लिए आपको भी अपने अंदर झांक कर देखना होगा.
आपको कमाऊ लड़का ही क्यों चाहिए , अपनी जाति का ही क्यों चाहिए, शादी में इतना तामझाम और बेवजह की सर्कस क्यों चाहिए ? याद रखिए , जैसे हम कहते हैं खाना बनाना और बच्चे संभालना केवल महिला की जिम्मेदारी नहीं, ठीक वैसे ही कमाने और आपको शॉपिंग कराने का ठेका पुरुष ने नहीं ले रखा.
(वर्षाऋतु संस्कृतिकृमी हैं. यह लेख हम साभार प्रकाशित कर रहे हैं.)
ये भी पढ़ें- Mythological Story : सबके होते हैं अपने-अपने स्वर्ग
हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.
- Log in to post comments
Dowry system in India: दहेज प्रथा खत्म करनी है तो लड़कियों को भी उठाने होंगे ठोस कदम