Ban on Chinese social media TikTok: अमेरिकी संसद में सांसदों ने एक ऐसा कानून पारित किया है, जिसकी वजह से चीन के लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है. भारत पहले ही टिकटॉक को बैन कर चुका है.

अमेरिका में TikTok के करीब 17 करोड़ यूजर हैं. यह कानून अब सीनेट पारित होना है और अंतिम निर्णय राष्ट्रपति को लेना है.

क्या है जो बाइडेन का रुख?
राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने कहा है कि वह विधेयक पर हस्ताक्षर करके इसे कानून बना देंगे. कानून के पक्ष में 352 वोट पड़े, वहीं विरोध में महज 65 वोट पड़े.इसे प्रस्ताव को रिपब्लिकन सांसद माइक गैलाघेर और डेमोक्रेट राजा कृष्णमूर्ति ने पेश किया. 


इसे भी पढ़ें- Lok Sabha Elections 2024: भाजपा की 2 सूची में 267 उम्मीदवार, मुस्लिम बस एक, क्या ध्रुवीकरण के लिए अपनाई ये रणनीति?


चीन पर अमेरिका ने दिखाई है सख्ती
टिकटॉक बिल को आगे बढ़ाने वाली हाउस कॉमर्स कमेटी की रिपब्लिकन अध्यक्ष कैथी मैकमोरिस रॉजर्स ने कहा, 'आज हम अपने विरोधियों को एक स्पष्ट संदेश भेजते हैं कि हमारी स्वतंत्रता को हमारे खिलाफ हथियार बनाया जाना हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.'


यह भी पढ़ें- BJP Candidate List: दूसरी सूची में भी 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों को टिकट, महाराष्ट्र में उतारीं सबसे ज्यादा महिलाएं


क्या हैं टिकटॉक पर आरोप?
टिकटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस, चीन में है. यह कंपनी सरकार के साथ जुड़ी है. कानून लागू होने के 180 दिनों के भीतर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचनी होगी. (एजेंसी इनपुट के साथ)

देश-दुनिया की Latest News, ख़बरों के पीछे का सच, जानकारी और अलग नज़रिया. अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर.

Url Title
US House passes bill to ban Chinese social media TikTok headed for Senate approval
Short Title
अमेरिका का China के TikTok पर बड़ा एक्शन, अब लगेगा बैन, संसद से कानून पारित
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
TikTok.
Caption

TikTok अमेरिका में बैन हो सकता है.

Date updated
Date published
Home Title

अमेरिका का China के TikTok पर बड़ा एक्शन, अब लगेगा बैन, संसद से कानून पारित
 

Word Count
279
Author Type
Author
SNIPS Summary
अमेरिकी अधिकारी चीन के इस सोशल मीडिया ऐप को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. उनका कहना था कि इसकी वजह से अमेरिकियों के गोपनीय डेटा में सेंध लग रही है. अब इसे कानून बनाकर बैन कर दिया गया है.