डीएनए हिंदी: सेशेल्स के युवाओं को स्पेस टेक्नॉलजी और साइंस के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से भारत की एक संस्था ने सेशेल्स का पहला बलून सैटलाइट (गुब्बारे से छोड़ा जाने वाला सैटलाइट) लॉन्च किया. इस प्रोजेक्ट के लिए UNESCO की ओर से फंडिंग की गई. इस प्रोजेक्ट का नाम 'मिशन पयांके' (Mission Payanke) रखा गया है.
बताया गया कि इसी शुरुआत 'Spacekids India' चार सदस्यों की टीम से हुई. सेशेल्स के स्कूल के स्टूडेंट्स को सैटलाइट फैब्रिकेशन और दूसरी जरूरी चीजों की ट्रेनिंग दी गई है. इन स्टूडेंट्स को 2.5 किलोग्राम का सैटलाइट लॉन्च करने और उसे रिकवर करने की पूरी जानकारी दी गई.
11 दिनों तक हुई वर्कशॉप
Spacekidz India की फाउंडर और सीईओ डॉ. श्रीमती केसन ने बताया कि उनकी चार सदस्यों की टीम ने 19 से 30 अप्रैल तक 11 दिनों का वर्कशॉप किया. इसमें सेशेल्स के 30 स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया. वर्कशॉप के दौरान, सैटलाइट की ट्रैकिंग के साथ-साथ डिजाइन, बलून सैटलाइट की लॉन्चिंग और फैब्रिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक, कंप्यूटर साइंस, मकैनिकल की भी ट्रेनिंग दी गई.
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डॉ. केसन ने बताया कि हीलियम के गुब्बारे की मदद से 2.5 किलोग्राम का सैटलाइट लॉन्च किया गया. इस सैटलाइट में रैडिएशन, दबाव और तापमान नापने वाले सेंसर के साथ-साथ कई अन्य पेलोड भी भेजे गए थे. हीलियम से भरा यह गुब्बारा एक पैराशूट से जोड़ा गया था. फिर इसे लॉन्च करके 70,000 से 1 लाख फीट की ऊंचाई पर पहुंचाया गया, ताकि स्पेस के पास और वायुमंडल की ऊपर सतह का डेटा इकट्ठा किया जा सके. डॉ. केसन के मुताबिक, यह गुब्बारा 73,000 फीटर की ऊंचाई तक गया और फैलकर फूट गया.
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सफल रहा मिशन
साथ में पैराशूट जुड़ा होने की वजह से यह धीरे-धीरे नीचे आ गया. यह सबकुछ 360 डिग्री कैमरे पर रेकॉर्ड किया गया. नीचे आ गए सैटलाइट को जीपीएस और ड्रोन की मदद से ढूंढा गया और पेलोड को रिकवर कर लिया गया. SpaceKids के मुताबिक, ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत के किसी एयरोस्पेस संगठन ने विदेश में जाकर शिक्षा के मकसद से बलून सैटलाइट लॉन्च किया है.
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भारतीय संस्था और UNESCO की मदद से लॉन्च हुआ सेशेल्स का पहला बलून सैटलाइट