डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के युद्ध (Russia Ukraine) में सर्दी का मौसम निर्णायक हो सकता है. पहले भी कई युद्ध ऐसे रहे हैं जिन्होंने युद्ध की दशा और दिशा दोनों बदल दी है. यही वजह है कि जैसे-जैसे सर्दियां आ रही हैं रूस और यूक्रेन में खास तैयारियां हो रही हैं. यूक्रेन की चिंता है कि अगर रूस ने उसे पावर ग्रिड (Ukraine Power Grid) को निशाना बनाया तो उसके नागरिकों का जीना मुश्किल हो जाएगा. वहीं, रूस चाहता है कि सर्दियां कम पड़ें ताकि युद्ध क्षेत्र में यूक्रेन आगे न बढ़ पाए. रूस-फिनलैंड युद्ध (Russia Finland War) और रूस और जर्मनी का युद्ध (Russia Germany War) ऐसा रहा है जिनमें सर्दियों ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी और नतीजों से हर कोई हैरान रह गया था.
यूक्रेन पर पावर ब्लैकआउट का खतरा मंडरा रहा है. पहले से कई इलाके बिजली संकट से जूझ रहे हैं. रूस के लगातार हमलों से यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई इलाकों में पावर सप्लाई बाधित हुई है. सर्दियों में बिजली की मांग बढ़ने वाली है. इसी को देखते हुए यूक्रेन की चिंताएं बढ़ गई हैं. बिजली विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि बिजली का संकट पूरी तरह से खत्म नहीं होने वाला है इसलिए पूरी तैयारी करनी होगी. अधिकारियों का कहना है कि लोगों को अभी से गर्म कपड़ों और कंबलों का स्टॉक जमा कर लेना चाहिए, ताकि बिजली कटने पर आने वाली दिक्कतों का सामना किया जा सके.
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माइनस में होता है तापमान, जम जाती हैं सड़कें
आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन में सर्दियां काफी तकलीफदेह और कठिन होती हैं. यही वजह है कि युद्ध में सर्दियों का मौसम काफी अहम हो जाता है. रूस भी इन सर्दियों का पूरा फायदा उठाने की तैयारी में है. कई ऐसे इलाके हैं जहां का तापमान -6 से -7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. युद्ध के मैदान भी बर्फ से ढक जाते हैं. ऐसे में लोग घर में दुबके रहते हैं और बिजली के हीटर और बाकी सुविधाएं ही उनका सहारा होती हैं. यूक्रेन और रूस में हर महीने औसतन 1.5 मीटर बर्फ पड़ती है.
रूस इन सर्दियों में यूक्रेन के पावर प्लांट और तेल डिपो पर हमले करने की तैयारी करने में है. दोनों देशों की सेनाएं ऐसे मौसम के लिए तैयार होती हैं और सैनिकों की ट्रेनिंग भी ऐसी होती है कि वे ऐसे कठिन मौसम में भी जिंदा रह सकें. यही वजह है कि रूस आम नागरिकों को निशाना बनाने की फिराक में है. संसाधनों पर हमला करके रूस यह चाहता है कि अपने नागरिकों को बचाने के लिए यूक्रेन घुटने टेक दे. यूक्रेन के लोगों ने भी तैयारी शुरू कर दी है और लड़की, स्टोव और जेनरेटर खरीदने शुरू कर दिए हैं ताकि बिजली न होने की स्थिति में भी वे खुद को सुरक्षित रख सकें.
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हिटलर ने भी टेक दिए थे घुटने
जर्मनी और रूस के युद्ध में भी सर्दियों ने ही अहम भूमिका निभाई थी. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान साल 1941 के अक्टूबर महीने में निर्णायक घटनाएं हुईं. जर्मनी की सेना ने रूस पर जोरदार हमला बोल दिया था और वह मॉस्को के नजदीक पहुंचने वाली थी. ताकतवर सेना, कुशल सैनिक और दमदार रणनीति के बावजूद जर्मनी के लाखों सैनिक सर्दियों से हारने लगे. जोरदार बर्फबारी ने जर्मनी की हालत खराब कर दी. जर्मनी के सैनिक इसके लिए तैयार थे. न तो वे खुद लड़ पा रहे थे और न ही युद्ध के मैदान तक उनकी सप्लाई पहुंच पा रही थी. इसी का फायदा उठाते हुए रूस ने पलटवार कर दिया. हिटलर की सेना के अधिकारियों लौटने की तैयारी शुरू कर दी लेकिन हिटलर ने आदेश दिया कि पोजीशन होल्ड करके रखें. आखिर में जर्मनी को पीछे हटना पड़ा.
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फिनलैंड ने कर दी थी रूस की फजीहत
रूस और फिनलैंड के बीच साल 1939 में लड़ा गया युद्ध विंटर वॉर के नाम से मशहूर है. रूस ने जर्मनी पर हमला करने के लिए फिनलैंड से रास्ता मांगा और फिनलैंड ने इनकार कर दिया. गुस्साए सोवियत संघ (अब रूस) ने फिनलैंड पर हमला कर दिया. रूस की तुलना में आधी सेना वाले फिनलैंड ने गुरिल्ला युद्ध शुरू कर दिया और रूसी सेना को हैरान कर दिया. माइनस 43 डिग्री तक के तापमान के बीच लड़े जा रहे इस युद्ध को फिनलैंड ने दो-तीन महीनों तक खींचा और आखिर में रूस को समझौता करना पड़ा था.
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