डीएनए हिंदी: कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक बार फिर हर तरफ चिंता का माहौल है. इस बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है. इस राहत का आधार है यूनिवर्सिटी ऑफ हॉन्गकॉन्ग में किया गया एक शोध. इस शोध की मानें तो दुनिया में तेजी से पैर पसार रहा ओमिक्रॉन कोरोना के डेल्टा वेरिएंट जितना खतरनाक नहीं है.
यूनिवर्सिटी ऑफ हॉन्गकॉन्ग का ये शोध दक्षिणी अफ्रीका के डॉक्टरों द्वारा की गई ऑन-ग्राउंड ऑब्जर्वेशंस पर आधारित है. इस शोध के मुताबिक ओमिक्रॉन वायरस से संक्रमित मरीजों का ऑक्सीजन स्तर भी सामान्य रहता है और उन्हें अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत भी नहीं पड़ रही है. डॉक्टरों का कहना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. हालांकि इसी रिसर्च में ये भी बताया गया है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट और कोविड-19 स्ट्रेन की तुलना में 70 गुना तेजी से फैलता है.
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शोध करने वाली टीम के प्रमुख Michael Chan Chi-wai ने इस शोध के दौरान पाया कि ओमिक्रॉन वेरिएंट इंसान के लंग्स के टिश्यूज में कोरोना की तुलना में 10 प्रतिशत कम प्रभावी तरीके से रेप्लीकेट होता है. इसी वजह से मरीज को गंभीर समस्याएं नहीं होती हैं. युवाओं में भी इस इंफेक्शन को लेकर किसी भी तरह के रिस्क फैक्टर्स की बात सामने नहीं आई है. इसी शोध में ये भी बताया गया है कि इसकी गंभीरता बेशक तुलनात्मक रूप से कम है, लेकिन कोरोना और उसके डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में काफी तेजी से फैलता है.
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पहली बार दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन का मामला सामने आने के तीन हफ्ते के अंदर ही ये 77 देशों में फैल चुका है. हॉन्गकॉन्ग के शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे होने वाले ज्यादातर इंफेक्शन काफी माइल्ड थे और इनमें हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी. हालांकि दुनिया भर के हेल्थ एक्सपर्ट्स और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी इसे नजरअंदाज ना करने और हर जरूरी सावधानी बरतने को कहा है.
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