डीएनए हिंदी: श्रीलंका में जारी आर्थिक और राजनीतिक संकट (Sri Lanka Crisis) अब भयावह रूप ले चुका है. सबसे पहले, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रहे महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) के घर पर जनता ने धावा बोला तो वह भाग खड़े हुए. अब देश के राष्ट्रपति और महिंदा राजपक्षे के भाई गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) भी फरार हो गए हैं और इस्तीफे का ऐलान कर दिया है. वहीं, जनता ने वर्तमान प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) के घर पर भी धावा बोल दिया और उनके घर पर आग लगा दी. जनता के इस कदर विद्रोह को देखकर रूस की क्रांति (Russian Revolution) और रूस के शासक रहे ज़ार निकोलस द्वितीय (Tsar Nicholas ii) की यादें ताज़ा होती हैं जिन्हें सरेआम गोली मार दी गई थी.
श्रीलंका में आर्थिक मंदी, महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता से जनता परेशान है. लोगों के पास खाने-पीने की चीजों से लेकर डीजल-पेट्रोल तक की कमी हो गई है. सरकार के पास पैसों की इस कदर कमी हो गई है कि स्कूलों में परीक्षाएं नहीं हो पा रही हैं. आर्थिक प्रबंधन खराब होने के चलते देश कर्ज के तले दब गया है और श्रीलंका का खजाना खाली हो गया है. ऊपर से कोरोना जैसी महामारी ने जनता का दम निकालकर रख दिया है. ऐसे में रूस की क्रांति का याद आना वाजिब ही है.
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क्या है रूस की क्रांति?
20वीं सदी की शुरुआत में रूस में निरंकुश राजाओं का शासन था. नौकरशाही में राजा के परिवार के लोग और करीबी रिश्तेदारों को रखा जाता था और जनता का शोषण चरम पर था. खराब अर्थव्यवस्था, किसानों-मजदूरों की दयनीय स्थिति और भ्रष्टाचार आग में घी का काम कर रहा था. धीरे-धीरे कई विचारों और लेखकों ने जनता के मुद्दों को बल दिया और जनता में क्रांति का संचार हुआ.
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ज़ार निकालेस प्रथम के शासन में परेशान जनता का गुस्सा उस समय फट पड़ा जब युद्ध में रूस की हार हुई. अपनी मांगों के समर्थन में जनता ने शांतिपूर्ण जुलूस निकाला लेकिन ज़ार ने आम लोगों पर गोली चलवा दी और जनता का गुस्सा और बुरी तरह फूटने लगा. साल 1916-17 में खाद्यान्न संकट हुआ और इसने ज़ार शासन का अंत सुनिश्चित कर दिया.
ज़ार निकोलस द्वितीय के साथ क्या हुआ था?
साल 1917 में रूसी जनता की बगावत इस कदर बढ़ गई कि जनता पूरी तरह से सड़क पर आ गई और भूख से जूझते लोगों ने लूटकर रोटियां खानी शुरू कर दी. जनता ने सरकारी संस्थानों पर कब्जा कर लिया और तत्कालीन शासन ज़ार निकोलस द्वितीय को सत्ता से बेदखल कर दिया गया. सत्ता से बेदखल करने के बाद ज़ार निकोलस और उनके परिवार को पहले तबोल्स्क और फिर एकाटेरिनबर्ग भेजा गया.
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हालांकि, ज़ार शासन के खिलाफ जनता का गुस्सा शांत नहीं हुआ था. तारीख थी 16-17 जुलाई 1918 की. कम्युनिस्ट क्रांतिकारियों ने रात के अंधेरे में ही ज़ार निकोलस के परिवार को जगाया गया और कहा गया कि आपको दूसरी सुरक्षित जगह पर ले जाना है क्योंकि शहर के हालात ठीक नहीं हैं. ज़ार निकोलस के परिवा में उस समय उनकी पत्नी, एक बेटा और चार बेटियां थीं. कहा जाता है कि ज़ार के पूरे परिवार को तहखाने में ले जाया गया और एक लाइन से खड़ा करके सबको गोली मार दी गई.
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Sri Lanka का हाल देखकर याद आ गई रूस की क्रांति, जानिए ज़ार निकोलस-2 के साथ क्या हुआ था