डीएनए हिंदी: भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार तीन कृषि कानून (Farmers Law) लाई थी. उन कानूनों के खिलाफ हरियाणा और पंजाब से शुरू हुए प्रदर्शनों ने धीरे-धीरे देशव्यापी रूप ले लिया था. लगभग एक साल चले किसान आंदोलन (Farmers Protest) के आगे सरकार झुक गई और तीनों कानूनों को वापस ले लिया. अब ऐसा ही प्रदर्शन यूरोप के देश नीदरलैंड में शुरू हो गया है. भारत के किसान आंदोलन की तरह ही नीदरलैंड में भी लोग अपने ट्रैक्टर लेकर सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन (Netherlands Farmers Protest) कर रहे हैं. नीदरलैंड के किसान भी अपने देश की सरकार की एक नीति के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं.
नीदरलैंड के प्रदर्शनकारी किसानों ने कई इलाकों में सड़कें जाम कर दी हैं और हर तरफ ट्रैक्टर ही ट्रैक्टर दिखाई दे रहे हैं. कई सरकारी इमारतों के बाहर प्रदर्शनकारी हड़ताल पर बैठे हैं और शहरों में बने सुपर मार्केट की ओर जाने वाली सड़कों को जाम कर दिया है. भारत में दिल्ली बॉर्डर पर हुए प्रदर्शनों की तरह ही लोगों ने ट्रैक्टरों का इस्तेमाल करके सड़कें जाम कर दी हैं.
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नीदरलैंड में क्यों हो रहा है किसान आंदोलन?
नीदरलैंड सरकार एक नई नीति लाई है जिसके तहत साल 2030 तक नाइट्रोजन उत्सर्जन को आधा करने का लक्ष्य रखा गया है. आपको बता दें कि केमिकल फर्टिलाइजर्स बनाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल नाइट्रोजन का ही होता है. ऐसे में किसानों को समस्या होनी तय है. नीदरलैंड लंबे समय से नाइट्रोजन उत्सर्जन से जुड़ी समस्याएं झेल रहा है इस वजह से सरकार ने किसानों और पशुपालकों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया है. आपको यह भी बता दें कि व्यावसायिक स्तर पर जानवरों का पालन भी नाइट्रोजन उत्सर्जन का एक बड़ा कारण बनता है क्योंकि जानवरों के मूत्र में भी अमोनिया और नाइट्रोजन पाया जाता है.
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प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि नाइट्रोजन और कई अन्य खतरनाक गैसें तो हवाई परिवहन, कंस्ट्रक्शन और इंडस्ट्री से भी निकलती हैं लेकिन सरकार ने उन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है. किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनकी बात समझेगी और इस नीति को वापस लिया जाएगा.
क्या कहती है नीदरलैंड सरकार?
अपनी नीति के समर्थन में नीदरलैंड की सरकार का कहना है कि नाइट्रोजन और अमोनिया के उत्सर्जन ने देश को यूरोप में सबसे बड़ा प्रदूषक देश बना दिया है. खेती और पशुपालन को सीमित करने का फैसला इसलिए लिया गया है ताकि मिट्टी, हवा और पानी की क्वालिटी में सुधार लाया जा सके. यही कारण है कि नाइट्रोजन और अमोनिया जैसे कारकों के उत्सर्जन में 50 प्रतिशत की कमी लाई जा सके.
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सरकार ने किसानों को कहा है कि वे नाइट्रोजन से बनने वाले फर्टिलाइजर्स इस्तेमाल बंद करें. नाइट्रोजन का इस्तेमाल बंद न करने वाले किसानों को खेती बंद भी करनी पड़ सकती है. ऐसे में किसानों को वैकल्पिक खेती के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. सरकार का कहना है कि उसने किसानों के अलावा गाड़ियों से निकलने वाले नाइट्रोजन को कम करने के लिए भी एक नियम लागू किया है. इस नियम के मुताबिक, नेशनल हाइवे पर अधिकतम स्पीड को 130 किलोमीटर प्रति घंटे से घटाकर 100 किलोमीटर प्रति घंटा कर दिया है.
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Netherlands में शुरू हुआ भारत जैसा किसान आंदोलन, सड़कों पर दौड़ रहे ट्रैक्टर, जानिए क्या है किसानों की मांग