26/11 Mumbai Terror Attack के 16 साल बाद भारत को एक बड़ी सफलता मिलने की संभावना बन गई है. इस हमले के मुख्य आरोपियों में से एक तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित करने की राह आसान होती दिख रही है. असिस्टेंट यूएस अटॉर्नी ने भारतीय दावे का समर्थन किया है. यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स के रिकॉर्ड्स के मुताबिक, असिस्टेंट यूएस अटॉर्नी व क्रिमिनल अपील्स चीफ ब्राम एल्डेन ने दलील दी है कि अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा हर लिहाज से प्रत्यर्पित करने के लायक है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि यूएस लोअर कोर्ट पहले ही राणा के भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी दे चुके हैं और उनका फैसला पूरी तरह सही है. फिलहाल अमेरिकी जेल में बंद पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक राणा ने भारत की तरफ से प्रत्यर्पण की मांग को यूएस कोर्ट में चुनौती दी हुई है. साथ ही शिकागो निवासी राणा ने खुद को तत्काल जेल से रिहा किए जाने का भी आग्रह कोर्ट से किया है.
'भारत साबित कर चुका है इस मामले में दावा'
एल्डेन ने कोर्ट में अपनी दलील में कहा,' निचली अदालतों ने सही फैसला किया है. संधि के स्पष्ट प्रावधानों के तहत राणा भारत प्रत्यर्पित करने योग्य है. भारत ने उस आतंकी हमले में उसकी भूमिका के लिए उस पर मुकदमा चलाने के पर्याप्त सबूत पेश किए हैं, जिसमें 166 लोगों की मौत हुई थी और 239 घायल हुए थे.
मुंबई हमले के बाद गिरफ्तार हुआ था राणा
तहव्वुर राणा को अमेरिका की फेडरल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (FBI) ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के एक साल से भी कम समय के अंदर शिकागो में गिरफ्तार कर लिया था. आरोपी आतंकी 16 साल पहले शिकागो में एक ट्रैवल एजेंसी चला रहा था, जब उसने अपने दोस्त डेविड कोलमैन हैडली (David Coleman Headley) के साथ मुंबई जाकर वहां हमले के लिए तय लोकेशंस और समुद्र तट पर आतंकियों के लैंडिंग जोन की रेकी करने के बाद उसका नक्शा तैयार किया था. जांचकर्ताओं के मुताबिक, जिस ब्लूप्रिंट के दम पर आतंकियों ने इतने दुर्दांत हमले को अंजाम दिया था, उसे तैयार करने में राणा का ही हाथ था. राणा और हैडली, दोनों को आतंकी योजना को मदद करने का आरोपी बनाया गया है. हैडली ने जहां इस मामले में अमेरिकी जांचकर्ताओं को सहयोग किया था, वहीं राणा ने इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी थी और उसमें हार गया था.
जेल से रिहा होने वाला था राणा, तब किया भारत ने आवेदन
तहव्वुर राणा को अमेरिका में 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, जिससे उसकी रिहाई होने से ठीक पहले भारत ने प्रत्यर्पण का आवेदन दाखिल किया था. राणा ने इसके खिलाफ कोर्ट में अपील दाखिल की थी, जहां निचली अदालतों में भारतीय दावे को उचित मानते हुए प्रत्यर्पण की मंजूरी दी जा चुकी है.
'राणा को थी हमले की पूरी जानकारी'
असिस्टेंट यूएस अटॉर्नी एल्डेन ने अपनी दलील में कहा कि राणा द्वारा हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकी समूह की मदद करने की पुष्टि वाले दस्तावेजी सबूत हैं. एल्डेन ने जजों से कहा,'राणा ने माना है कि उसे पाकिस्तान में साजिशकर्ताओं में से एक ने बताया था कि क्या होने जा रहा है. उसने उस दुर्दांत आतंकी हमले की सराहना भी की थी, जिसमें 166 लोगों की मौत हुई, 239 घायल हुए और भारत को 15 लाख डॉलर के बराबर आर्थिक हानि हुई.'
अटॉर्नी ने कोर्ट को बताया कितना भयानक था मुंबई नरसंहार
यूएस अटॉर्नी ने कोर्ट को यह भी याद दिलाया कि 'मुंबई नरसंहार (Mumbai Massacre)' कितना भयानक था. भारत के 9/11 (अमेरिका ट्विन टावर पर आतंकी हमले का सिंबोलिक नाम) कहे जाने वाले इस नरसंहार में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई को कई दिन कब्जे में रखा था. एल्डेन ने मजबूती से जोर देते हुए कहा,'आतंकियों ने कई बार, रेस्टोरेंट और छाबड़ हाउस पर हमला किया. मुंबई में उनके निशाने पर कई अन्य टारगेट भी थे. यह उनका (भारत का) 9/11 था. यह कई दिन तक चला विनाशकारी हमला था, जिसके परिणाम में जैसा मैंने कहा कि 166 लोगों की मौत हुई थी. इनमें 6 अमेरिकी भी शामिल थे. यही कारण है कि भारत इस मामले में मुकदमा चलाना चाहता है और प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे ऐसा करने का हर अधिकार है.'
(With ANI Inputs)
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26/11 Mumbai Attack का आरोपी Tahawwur Rana आएगा भारत? प्रत्यर्पण पर पढ़ें बड़ा अपडेट