डीएनए हिंदी: Russia और Ukraine की सीमा पर चल रही टेंशन अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है लेकिन वहां की फेक न्यूज ने भारतीय स्टूडेंट्स के पैरेंट्स के दिलों की धड़कन बढ़ा दी है. इस तरह की खबरों की सच्चाई जानने के लिए हमने जब यूक्रेन की सीमा के करीब सुमी की एक यूनिवर्सिटी के बच्चों से बात की तो हकीकत को पता चला. बॉर्डर के करीब रह रहे इन स्टूडेंट्स के मुताबिक हालात इतने खराब नहीं हैं जितने कि बताए जा रहे हैं.
यूनिवर्सिटी ने किसी तरह की सिक्योरिटी दी है?
यूक्रेन की सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी में MBBS की चौथे ईयर की स्टूडेंट जिया बलूनी (चंडीगढ़) ने बताया, यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल में किसी तरह की कोई सुरक्षा नहीं दी है. यूके, यूएस, अरब, नाइजीरिया जैसे देशों के ज्यादातर बच्चे वापस लौट चुके हैं. उनकी एंबेसी ने गंभीर हालात का अंदाजा लगाते हुए उन्हें पहले ही कॉल कर अपने देश लौटने को कह दिया था. अब उन देशों के कुछ ही बच्चे यहां पर हैं और वे अपनी मर्जी से यहां रुके हुए हैं.
इंडियन एंबेसी ने नहीं ली खबर
जिया ने आरोप लगाया कि इंडियन एंबेसी ने अभी तक उनसे कोई बात नहीं की है. उन्होंने कहा, जब हम स्टूडेंट्स ने उन्हें कॉल किया तो वहां से जवाब मिला कि 'You should run for your life'. फ्लाइट्स बहुत मंहगी हो चुकी हैं आमतौर पर मेरी जो टिकट 30 से 35 हजार की पड़ जाती थी उसके लिए मुझे 70 हजार रुपए देने पड़े वहीं अगले ही दिन दूसरे क्लासमेट की टिकट 1 लाख 5 हजार रुपए में हुई. टिकट लेने के बाद फिलहाल यह पक्का नहीं है कि हम घर पहुंच भी पाएंगे. हमारे दोस्त दीपांशु मलिक की टिकट ऐन मौके पर कैंसल हो गई तो वह पैसे खर्च करने के बावजूद भी वापस नहीं जा सका. बता दें कि हमने इस बारे में यूक्रेन में भारतीय एंबेसी से बात करने की कोशिश की थी लेकिन खबर लिखने तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया था.
घर जाने का ऑप्शन क्यों नहीं चुन पा रहे बच्चे?
गुजरात की रहने वालीं, MBBS की दूसरी स्टूडेंट आस्था ने बताया, यूनिवर्सिटी ने केवल 2 हफ्ते की ऑनलाइन क्लास की बात कही है. उनके मुताबिक अगर बच्चे वापस जाते हैं तो उन्हें फेल कर दिया जाएगा. जबकि दूसरी यूनिवर्सिटीज तो ऑनलाइन क्लास की जगह स्टूडेंट्स को कॉलेज बुला रही हैं. बता दें कि यूनिवर्सिटी तीन साल बाद मेडिकल स्टूडेंट का एक नेशनल लेवल का एग्जाम लेती है. वह एग्जाम 8 फरवरी को हो चुका है लेकिन पैटर्न मुश्किल होने के कारण उसे दोबारा करवाया जा रहा है. अब इसकी तारीख 15 मार्च तय की गई है. 'ऐसे में हम पेपर छोड़कर अपना करियर दाव पर लगाकर कैसे वापस लौटने का बड़ा फैसला लें. अगर यूनिवर्सिटी इस टेंशन को देखते हुए फिलहाल ऑनलाइन मोड में रहती और पेपर ऑनलाइन होता तो हम सोच सकते थे'.
ज्यादा परेशान क्या रहा है ताजा हालात या फेक न्यूज?
MBBS की पढ़ाई के लिए कोटा से यूक्रेन पहुंचे फैजल अंसारी कहते हैं कि वह दिन रात आने वाले कॉल्स की वजह से अक्सर परेशान हो जाते हैं. उनकी परेशानी की वजह कॉल नहीं बल्कि घरवालों की टेंशन है. उन्होंने बताया कि घरवाले कहीं भी कुछ भी सुनते हैं तो परेशान हो जाते हैं. अपने एक साथ का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि उसे घरवालों ने भारत बुलाने को लेकर इतनी बार कॉल कर लिया था कि वह केवल उनकी टेंशन दूर करने के लिए दोहा में रहने वाली अपनी बहन के पास चला गया. फैजल ने कहा कि पैरेंट्स फोर्स कर रहे हैं आने के लिए लेकिन यहां हालात इतने बुरे नहीं हैं.
इमरजेंसी को लेकर कॉलेज ने इंडियन एंबेसी ने कोई गाइडलाइन्स दी हैं?
जिया ने बताया कि इमरजेंसी हालात के लिए केवल लोकल लोगों को ही ट्रेनिंग मिल रही है. उन्हें इमरजेंसी पैकिंग, गन चलाना, बम पहचानने जैसी ट्रेनिंग दी जा रही है. वहां के लोगों का कहना है कि कुछ नहीं होगा. अगर हुआ तो वक्त आने पर देखा जाएगा.
खाने-पीने की चीजों को लेकर कोई परेशानी?
आस्था ने बताया कि स्टोर्स नॉर्मली खुल रहे हैं. वह अपने दोस्तों के साथ बाहर जाती हैं जरूरत का सामान लेकर आती हैं. बाहर सड़कों पर पहले जैसा ही माहौल देखने को मिलता है. जैसी पुलिस और सिक्यौरिटी पहले रहती थी अब भी वैसी ही है. इसमें कुछ बढ़ा या घटा नहीं है. अगर आपको लग रहा है कि यहां लॉकडाउन जैसी कोई हालत हैं तो बता दें कि ऐसा कुछ नहीं है.
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