डीएनए हिंदी: Corona महामारी के दो साल बाद इस साल हज यात्रा (Hajj Yatra 2022) को लेकर भारतीयों में काफी उत्साह है. सऊदी सरकार ने इस साल 79 thousands 237 के लगभग भारतीयों को जाने की इजाजत दी है.जिसमें 50 फीसदी महिलाएं शामिल हैं. हज यात्रा का आगाज हो गया है. दो साल बाद इतनी बड़ी मात्रा में लोग जा रहे हैं. इसे लेकर भारत सरकार और सऊदी सरकार दोनों ने कुछ गाइडलाइंस भी जारी की है.
मुस्लिम धर्म (Muslim Community) के लोगों के लिए हज यात्रा बेहद जरूरी मानी जाती है, ये इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. इस्लाम धर्म में मान्यता है कि अल्लाह की मेहर पाने के लिए जीवन में एक बार हज यात्रा पर जाना बेहद जरूरी है. हज यात्रा के प्रति सभी मुसलमानों की एक गहरी भावना जुड़ी है. इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) के 12वें महीने जिल हिज्जाह की 8वीं तारीख से 12वीं तारीख तक हज होता है और जिस दिन हज पूरा होता है उस दिन ही ईद-उल-अजहा यानी बकरीद मनाई जाती है.
यह भी पढ़ें- धर्म से जुड़ी तमाम खबरें आप यहां पढ़ सकते हैं
क्यों है अहम हज यात्रा (Why Hajj Yatra is important in Hindi)
- हर मुस्लमान के लिए हज यात्रा बहुत अहम मानी जाती है क्योंकि उनमें मान्यता है कि हज यात्रा के बगैर अल्लाह को पाना मुश्किल है
- तभी तो हर साल सऊदी अरब के मक्का में दुनियाभर के लाखों मुस्लमान हज के लिए पहुंचते हैं.जिस तरह हिंदूओं के लिए तीर्थ यात्रा जरूरी है वैसे ही मुस्लिमों के लिए हज यात्रा महत्वपूर्ण है.
- इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है हज यात्रा. कलमा, नमाज और रोजा रखना तो हर मुसलमान के लिए जरूरी है लेकिन जकात यानी दान और हज में कुछ छूट दी गई है क्योंकि हर किसी के लिए हज करना संभव नहीं है. जिनके पास पैसा है वे आसानी से हज में जा सकते हैं.
- काबा को अल्लाह का घर माना जाता है, इसलिए वहां जाकर नमाज पढ़ना, खुदा को याद करना मुसलमानों के लिए अजीज है.
अल्लाह के प्रति अपने भरोसे को मजबूत करने के लिए ही हर साल यहां मुसलमान आते हैं.
यह भी पढ़ें - इस बार हज यात्रा के लिए देने होंगे इतने रुपए
हज का इतिहास (History of Hajj Yatra in Hindi)
चार हज़ार साल पहले मक्का का मैदान पूरी तरह से विरान था.मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर अब्राहम ने अपनी पत्नी हाजिरा और बेटे इस्माइल को फलस्तीन से अरब लाने का निर्देश दिया ताकि उनकी पहली पत्नी सारा की ईर्ष्या से उन्हें बचाया जा सके.अल्लाह ने पैगंबर अब्राहम से उन्हें अपनी किस्मत पर छोड़ देने के लिए कहा.उन्हें खाने की कुछ चीजें और थोड़ा पानी दिया गया.कुछ दिनों में ही ये सामान खत्म हो गया.
हाजिरा और इस्माइल भूख और प्यास से बेहाल हो गए.मायूस हाजिरा सफा और मारवा पहाड़ी से मदद की आश लेकर नीचे उतरीं.भूख और थकान से टूटकर हाजिरा नीचे गिर गईं और उन्होंने संकट से मुक्ति के लिए अल्लाह से गुहार लगाई.इस्माइल ने जमीन पर पैर पटका तो धरती के भीतर से पानी का एक सोता फूट पड़ा और दोनों की जान बच गई.
यह भी पढ़ें- Hindus in Pakistan: पाकिस्तान में कितने हिंदू रहते हैं? सिखों की संख्या 1 लाख से भी कम
हाजिरा ने पानी को सुरक्षित किया और खाने के सामान के बदले पानी का व्यापार भी शुरू कर दिया.जब पैगंबर अब्राहम फिलिस्तीन से लौटे तो उन्होंने देखा कि उनका परिवार एक अच्छा जीवन जी रहा है और वो पूरी तरह से हैरान रह गए.पैगंबर अब्राहम को अल्लाह ने एक तीर्थस्थान बनाकर समर्पित करने को कहा.अब्राहम और इस्माइल ने पत्थर का एक छोटा सा घनाकार निर्माण किया, जिसे काबा कहा जाता है
628 साल में पैगंबर मोहम्मद ने अपने 1400 अनुयायियों के साथ एक यात्रा शुरू की.यह इस्लाम की पहली तीर्थयात्रा बनी और इसी यात्रा में अब्राहम की धार्मिक परंपराओं को फिर से स्थापित किया और इस तरह से हज यात्रा शुरु हई.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
Hajj Yatra 2022: हज यात्रा की कैसे हुई शुरुआत, पैगंबर के संघर्ष से ऐसे जुड़ा है इतिहास