डीएनए हिंदी: श्रीलंका के बाद अब इराक (Iraq) में बगावत का माहौल देखने को मिल रहा है. राजधानी बगदाद में बुधवार को आक्रोशित सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर कब्जा कर लिया. Al Jazeera की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारी ईरान समर्थिक राजनीतिक पार्टियों की ओर से पूर्व प्रांतीय गवर्नर मोहम्मद शिया अल-सुडानी (Mohammed Shia Al Sudani) को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर विरोध कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी इराकी शिया नेता मुक्तदा अल सदर के समर्थक हैं.

गौरतलब है कि इराक में अक्टूबर 2021 में आम चुनाव हुए थे. तब से इराक में सत्ता को लेकर बवाल मचा हुआ है. लोगों में असंतोष इतना बढ़ता जा रहा है कि बुधवार को देश की राजधानी होते हुए संसद भवन तक पहुंच गया. प्रदर्शनकारी उच्च सुरक्षा वाले ग्रीन जोन, सरकारी भवनों और राजनयिक मिशनों के घरों में घुस गए. हालांकि उस समय कोई भी सांसद संसद में मौजूद नहीं था. मोहम्मद अल-सुडानी को ऑर्डिनेशन फ्रेमवर्क ब्लॉक की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया गया है. बताया जा रहा है कि यह पार्टियां शिया मुसलमानों की हैं. विद्रोही बगदाद के ग्रीन जोन में 'सुडानी' बाहर जाओ के नारे लगा रहे हैं.

इराक की संसद में घुसे प्रदर्शनकारी

इराक में 2021 में हुए थे आम चुनाव
हालांकि, इराक के कार्यकारी प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने ने कहा कि इस मामले में विचार किया जाएगा. विरोध-प्रदर्शन में शामिल ज्यादातर लोग शियाओं के धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर के समर्थक बताए जा रहे हैं. इराक में 10 अक्टूबर, 2021 को पांचवां संसदीय चुनाव हुआ था. जिसमें मुक्तदा अल-सदर 329 में से 73 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा पाई. सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद मुक्तदा अल-सदर ने राजनीतिक सक्रियता से बाहर रहने के ऐलान किया था. इसके बाद इराक के अन्य राजनीतिक दलों ऑर्डिनेशन फ्रेमवर्क ब्लॉक की तरफ से मोहम्मद अल-सुडानी के नाम का ऐलान कर दिया. लेकिन इराक की जनता मोहम्मद अल-सुडानी को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं चाहती. उनका कहना है कि किसी सूडानी को देश कमान नहीं सौंपने देंगे.

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क्या कहता है इराक का संविधान?
इराक के संविधान के अनुसार, सासंदों को अपने दो तिहाई बहुमत से किसी एक सदस्य को नए राष्ट्रपति के तौर पर चुनना होता है. राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 साल का होता है. फिर नए राष्ट्रपति सबसे बड़े राजनीतिक दल को 30 दिन के अंदर सरकार बनाने और प्रधानमंत्री चुनने के लिए आमंत्रित करते हैं. इराक में फिलहाल मुस्तफा अल-कदीमी कार्यकारी प्रधानमंत्री हैं और उनकी जगह पर नया पीएम चुना जाना है.

महिलाएं भी कर रही हैं प्रदर्शन (फोटो-Social Media)

इराक में सबसे ज्यादा है शिया धर्म की तादाद 
इराक में यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री चुने जाने के लेकर बवाल हो रहा है. इससे पहले भी 2016 में अल सदर के समर्थकों ने बगदाद के ग्रीन जोन और संसद पर धावा बोला था. इराक में शियाओं की तादाद सबसे ज्यादा है. यहां 60-65 प्रतिशत की आबादी शियाओं की है. जबकि सुन्नी इस्लाम के लोग 32-37 प्रतिशत हैं. पूरे इराक में कई शहर शिया और सुन्नी मुस्लिम दोनों के लिए ऐतिहासिक महत्व के क्षेत्र हैं. जिनमें नजाफ, कर्बला और समारा शामिल हैं.

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Iraq Protest against Prime Minister candidate Mohammed Shia al-Sudani protesters enter parliament
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इराक में कैसे बने श्रीलंका जैसे हालात, क्यों लग रहे  'सुडानी' बाहर जाओ के नारे?
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इराक की ससंद की दीवार पर चढ़े घुसे प्रदर्शनकारी (Photo-social media)
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इराक की ससंद की दीवार पर चढ़े घुसे प्रदर्शनकारी (Photo-social media)

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इराक में कैसे बने श्रीलंका जैसे हालात, क्यों लग रहे  'सुडानी' बाहर जाओ के नारे?