डीएनए हिंदीः वैश्विक स्तर पर भारत सरकार उन सभी राष्ट्रों के लिए मुसीबत का पर्याय बन रही है, जो कि आतंकवाद के खिलाफ आक्रामकता से कदम नहीं उठाते हैं. वहीं अब उन देशों की मुसीबतों में अधिक विस्तार होने वाला है, जो कि इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहे हैं, क्योंकि भारत ने इन देशों की संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र सबंधित एक बैठक में स्थाई सचिव राजेश परिहार के बयान ने पाकिस्तान को आईना दिखाया है, और इसका दर्द चीन को भी हो सकता है. चीन की परेशानियों की वजह उसकी प्रत्येक मुद्दे पर पाकिस्तान का बचाव करने की नीति ही है.
रद्द हो संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता
पाकिस्तान का नाम लिए बिना राजदूत राजेश परिहार ने संयुक्त राष्ट्र में दिए एक वक्तव्य में कहा कि संयुक्त राष्ट्र को उन देशों के खिलाफ अब सख्त कदम उठाने होंगे, जो कि अनेकों चेतावनी के बावजूद आतंक का अपने अधिकार क्षेत्र के इलाकों में खूब पालन-पोषण कर रहे हैं. ऐसे में आवश्यकता है कि इ्न देशों के खिलाफ एक्शन लिया जाए, और इनकी संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता रद्द होनी चाहिए, साथ ही इन्हें वैश्विक संगठनों से बाहर कर देना चाहिए.
भारतीय राजदूत ने कहा, "आतंकवाद के खतरे का सफलतापूर्वक मुकाबला करने के लिए आतंकवादियों को वित्तीय संसाधनों तक पहुंचने से रोकना महत्वपूर्ण है. कुछ देशों में कानूनी परिचालन ढांचे और आवश्यक आतंकवाद के वित्तपोषण (सीएफटी) क्षमताओं का मुकाबला करने की कमी है, तो कुछ देश ऐसे हैं जो स्पष्ट रूप से आतंकवाद को सहायता और समर्थन देने और जानबूझकर वित्तीय सहायता और आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करने के दोषी हैं. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा ऐसे देशों को उनके इन कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए."
पाकिस्तान के लिए मुसीबत
भारतीय राजदूत के बयानों से सर्वाधिक परेशानी अगर किसी राष्ट्र को होगी, तो वो पाकिस्तान ही है, जहां पनाह लिए हुए अनेकों आतंकी एवं उनके संगठन वैश्विक स्तर पर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. पाकिस्तान के साथ दिक्कत ये है कि एफएटीएफ पहले ही उसे ग्रे लिस्ट में डाल चुका है. इसके बावजूद पाकिस्तान में मानवाधिकार के हनन से लेकर आतंकी गतिविधियों में बदलाव नहीं देखा गया है. वहीं अफगानिस्तान में तानाशाही और शरीया शासन लागू करवाने वाले तालिबान को शह देने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
वहीं भारत के इस बयान से एक झटका चीन को भी लग सकता है, क्योंकि चीन पाकिस्तान में पनाह लेने वाले अनेकों आतंकियों को वैश्विक आतंकी घोषित करने के मुद्दे पर सदैव विरोध करता रहा है, और इसके लिए वो अपने स्पेशल पावर वीटो का सर्वाधिक इस्तेमाल करता है. आज की स्थिति में पाकिस्तान जहां आतंक को पनाह दे रहा है, तो दूसरी ओर उसका वैश्विक मचों पर बचाव कर चीन अपना असल चरित्र उजागर कर देता है.
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