डीएनए हिंदी: चीन और भूटान के बीच राजनयिक संबंध दुरुस्त होते नजर आ रहे हैं. चीन ने भूटान से उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने की वकालत शुरू कर दी है. चीन का कहना है कि भूटान से जुड़ा सीमा विवाद जल्द से जल्द सुलझा लिया जाएगा. चीन का कहना है कि दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों को कानूनी रूप दिया जाए.
भूटान के विदेश मंत्री डॉ टांडी दोरजी चीन के साथ सीमा वार्ता में हिस्सा लेने के लिए बीजिंग दौरे पर हैं. उन्होंने मंगलवार को चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की है. उन्होंने कहा है कि दोनों पक्ष सीमा सीमांकन प्रक्रिया में तेजी लाएंगे और अब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना होगी. चीन जिस भी देश में जाता है, वहां भारत के खिलाफ माहौल तैयार करता है. अगर चीन और भूटान एक हुए तो भारत के साथ रिश्ते बिगड़ सकते हैं.
चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग ने कहा है कि चीन और भूटान मित्रवत पड़ोसी हैं और हालांकि दोनों देशों ने अभी तक राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किए हैं, लेकिन उनके बीच लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं.
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भूटान के साथ सीमा विवाद सुलझाने में जुटा चीन
चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग ने कहा, 'चीन हमेशा भूटान की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है. चीन सभी स्तरों और सभी क्षेत्रों में आदान-प्रदान को मजबूत करने, अर्थव्यवस्था, व्यापार, संस्कृति और पर्यटन पर व्यावहारिक सहयोग का विस्तार करने और सीमा सीमांकन प्रक्रिया और राजनयिक की स्थापना में तेजी लाने के लिए तैयार है. भूटान के साथ संबंधों से दोनों देशों और दोनों लोगों को अधिक लाभ होगा.'
दोरजी ने हान से कहा कि भूटानी सरकार चीन के साथ संबंधों के विकास को बहुत महत्व देती है और एक-चीन सिद्धांत का दृढ़ता से पालन करती है. दोनों पक्षों में अपनी सीमाओं का सीमांकन करने और जल्द से जल्द राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए सहमति बनी है.
चीन और भूटान के बीच सीमा समझौते पर हस्ताक्षर नहीं
चीन और भूटान के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं लेकिन अधिकारी समय-समय पर दौरों के जरिए संपर्क बनाए रखते हैं. बीजिंग ने 12 अन्य पड़ोसियों के साथ सीमा विवादों को सुलझा लिया है. भारत और भूटान ही ऐसे दो देश हैं, जिन पर चीन ने अभी तक सीमा समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
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हाल के वर्षों में चीन ने भूटान के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने और जटिल सीमा विवाद के समाधान तक पहुंचने के लिए बातचीत में तेजी लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं. चीन और भूटान के संबंध डोकलाम को लेकर बिगड़ गए थे. भारत भी भूटान के समर्थन में खुलकर आ गया था.
2017 में तल्ख हुए थे संबंध
2017 में डोकलाम पठार में सड़क बनाने के चीन के प्रयासों की वजह से भारत-चीन गतिरोध के कारण दोनों पड़ोसियों के बीच तनाव पैदा हो गया था. भारत ने डोकलाम ट्राइ-जंक्शन पर चीनी सेना द्वारा सड़क के निर्माण का कड़ा विरोध किया क्योंकि इससे उसके समग्र सुरक्षा हितों पर असर पड़ता. यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए खतरा था जिसे चिकन नेक के रूप में भी जाना जाता है. यह भारत को उत्तर-पूर्व से जोड़ता है. बीजिंग द्वारा सड़क बनाने की योजना छोड़ने के बाद गतिरोध समाप्त हो गया था.
भूटान के बैठक पर भारत की नजर
भारत और भूटान के बीच दोस्ती, बहुत पुरानी है. भूटान, भारत पर आर्थिक तौर पर निर्भर है. ऐसे में भारत जरूर चाहेगा कि चीन, भूटान में ज्यादा दखल न दे. चीन ने बुनियादी ढांचे के विकास और तरजीही नीतियों के साथ भारत, भूटान और नेपाल की सीमा पर स्थित गांवों को विकसित करने के प्रयास भी तेज कर दिए हैं.
मार्च में ब्रुसेल्स की अपनी यात्रा के दौरान डॉ शेरिंग ने बेल्जियम के अखबार ला लिब्रे को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, 'हमें चीन के साथ बड़ी सीमा समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन कुछ क्षेत्रों का अभी तक सीमांकन नहीं किया गया है. हमें अभी भी इस पर चर्चा करनी है और एक रेखा खींचनी है.'
शेरिंग के बयान से भारत में चिंताएं बढ़ा गई थीं. भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने अप्रैल में नई दिल्ली का दौरा किया था और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. दोनों नेताओं ने देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों का विस्तार करने का संकल्प लिया. भारतीय अधिकारी चीन-भूटान संबंधों पर नजर रखे हुए हैं. भारत और भूटान ही ऐसे देश हैं जिनके साथ चीन को अभी भी भूमि सीमा विवाद सुलझाना बाकी है. चीन ने हाल के वर्षों में भूटान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित करने के प्रयास तेज कर दिए हैं.
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भूटान के साथ दोस्ती चाहता है चीन, सीमा समझौते पर बातचीत, भारत की पैनी नजर