डीएनए हिंदी: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली में बहुमत खोने के बावजूद गुरुवार को संकेत दिया कि वह इस्तीफा नहीं देंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि वह रविवार को होने वाले "अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान" का सामना करेंगे.
राष्ट्र के नाम सीधे प्रसारण वाले संबोधन में इमरान खान ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का चाहे जो कुछ नतीजा आए, वह और अधिक मजबूत होकर लौटेंगे. इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से बेदखल करने की विपक्ष की कोशिश को नाकाम करने के लिए 342 सदस्यीय संसद के निचले सदन (नेशनल असेंबली) में 172 वोट की जरूरत है.
अपने संबोधन में इमरान खान ने ‘धमकी वाले एक पत्र’ पर भी चर्चा की, जिसे उन्होंने कथित तौर पर उनकी गठबंधन सरकार को गिराने के लिए विदेशी साजिश का ‘‘सबूत’’ बताया. उन्होंने इस धमकी के पीछे अमेरिका का नाम लिया, जो शायद जुबान फिसलने के कारण ऐसा हुआ.
इमरान खान ने कहा, "हमारी नीति अमेरिका विरोधी, यूरोप, या यहां तक कि भारत विरोधी नहीं थी...नई दिल्ली द्वारा अगस्त 2019 में अंतरराष्ट्रीय कानून को तोड़ने और कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के बाद यह भारत विरोधी बन गई."
भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू कश्मीर, "हमेशा ही देश (भारत) का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा."
इमरान खान ने पत्र को सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि अपने खिलाफ बताते हुए कहा, "पत्र में कहा गया है कि अविश्वास प्रस्ताव सौंपने से पहले ही पेश किया जा रहा है, जिसका मतलब है कि विपक्ष उनके संपर्क में था." उन्होंने कहा कि यह एक ‘‘आधिकारिक पत्र’’ था जिसे पाकिस्तान के राजदूत को भेजा गया था, जो बैठक के दौरान (नोट) टिप्पणी लिख रहे थे.
उन्होंने कहा कि विदेशी अधिकारी जानते हैं कि उनके बाद सत्ता में आने वालों को बाहरी ताकतों से आदेश लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी. इमरान खान ने कहा, "लेकिन सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि यहां बैठे हमारे लोग विदेशी ताकतों के संपर्क में हैं."
उन्होंने इस संबंध में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के मौलाना फजलुर रहमान का हवाला दिया. इमरान ने कहा, "क्या दूसरे देश ऐसे भ्रष्ट लोगों को अपने राज्यों में सत्ता में चाहते हैं? वे ऐसे भ्रष्ट नेताओं को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, लेकिन मैं उन्हें स्वीकार्य नहीं हूं."
हालांकि, विपक्ष ने अपने पक्ष में 175 सांसदों का समर्थन हासिल होने का दावा किया और प्रधानमंत्री से फौरन इस्तीफा देने की मांग की है. उल्लेखनीय है कि कोई भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना पूर्ण कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है.
पढ़ें- क्या Imran Khan को हटाना चाहता है America? पाकिस्तान को संबोधित करते समय फिसली जुबान
पढ़ें- क्यों Pakistan का कोई भी प्रधानमंत्री पूरा नहीं कर पाता अपना कार्यकाल?
गूगल पर हमारे पेज को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें. हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.
- Log in to post comments