Compulsory Military Service For Woman: डेनमार्क ने गुरुवार को एक अहम घोषणा की है. डेनमार्क में अब महिलाओं के लिए भी सेना में सेवा देना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके साथ ही डेनमार्क उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जहां पहले से ही महिलाओं के लिए सेना में पुरुषों के बराबर मौके मौजूद हैं. डेनमार्क के इस कदम को यूरोप के बदलते माहौल के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही लैंगिक समानता (gender equality) से भी जोड़कर देखा जा रहा है. ANI के मुताबिक, डेनिश प्रधानमंत्री मैट फ्रेडरिक्सन (Prime Minister Mette Frederiksen) ने इस बात की घोषणा करते हुए कहा कि महिलाओं के लिए सेना में सेवा देना अनिवार्य कर दिया गया है. साथ ही महिला हो या पुरुष, दोनों के लिए अब सेना में अनिवार्य सेवा अवधि भी चार महीने से बढ़ाकर 11 महीने कर दी गई है. हालांकि उन्होंने इस फैसले को अपनी सरकार का झुकाव लड़ाई की तरफ दिखाने वाला मानने से इंकार किया. उन्होंने कहा कि यह फैसला संघर्ष की तरफ झुकाव के बजाय शांति और तैयारियों की दिशा में डेनमार्क की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
क्या रूस के कारण उठाया है ये कदम?
यूक्रेन पर रूस के हमले का विरोध करने वालों में डेनमार्क सबसे आगे रहा है. नाटो (NATO) मेंबर होने के चलते डेनमार्क रूस को अपने लिए भी खतरा मानता रहा है. हालांकि डेनिश विदेश मंत्री लार्स लोके रासमुसेन यह दावा कर चुके हैं कि रूस उनके देश के लिए तत्काल कोई खतरा नहीं है. इसके बावजूद डेनमार्क के मौजूदा फैसले को रूस के विस्तारवादी रुख से ही जोड़कर देखा जा रहा है.
महज 9,000 सैनिक हैं डेनिश सेना में
डेनमार्क के लिए यह कदम इसलिए भी बेहद अहम हैं, क्योंकि उसकी सेना में महज 9,000 पेशेवर सैनिक हैं, जबकि 4,700 सैनिक फिलहाल ट्रेनिंग ले रहे हैं. ऐसे में डेनमार्क के लिए अपनी सैन्य ताकत को तत्काल बढ़ाना बेहद जरूरी है. इसके लिए उसे ज्यादा सैनिकों की जरूरत होगी, जो इस फैसले के जरिये पूरी की जा रही है. दरअसल डेनमार्क अपनी सैन्य भर्ती प्रक्रिया में व्यापक बदलाव कर रहा है. डेनिश रक्षा मंत्री ट्रॉल्स लुंड पॉल्सेन ने नई प्रक्रिया लागू करने के लिए आवश्यक कानूनी बदलाव की रूपरेखा तैयार की है, जिसे लागू करने के लिए अनुमानित समयसीमा साल 2026 रखी गई है. इस संशोधित प्रक्रिया में सिपाहियों को 5 महीने की बेसिक ट्रेनिंग दी जाएगी, जबकि 6 महीने वे ऑपरेशनल सर्विस का हिस्सा रहेंगे. साथ ही उन्हें सप्लीमेंट्री ट्रेनिंग से भी गुजरना होगा. इससे डेनिश सरकार एक ज्यादा समावेशी व व्यापक डिफेंस सिस्टम को लाना चाहती है, जो समकालीन सुरक्षा खतरों के अनुकूल होगा.
किन देशों में पहले से है महिलाओं के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा
- स्वीडन (Sweden): इस देश में 2017 में रीजनल सिक्योरिटी थ्रेट्स को देखते हुए पुरुषों और महिलाओं, दोनों की भर्ती बहाल की गई थी.
- नॉर्वे (Norway): इस देश में साल 2015 में महिलाओं और पुरुषों, दोनों के लिए सेना में सेवा देना अनिवार्य किया गया था. इस फैसले से नॉर्वे नाटो मेंबर्स के बीच लिंग-समावेशी सैन्य नीतियों में सबसे आगे निकल गया था.
- इजरायल (Israel): इजरायल में पहले से ही सेना में सभी नागरिकों के लिए सेवा देना अनिवार्य है. आबादी के कुछ खास समूहों को इस नियम से अलग रखा गया है, जिनमें अति-रुढ़िवादी जातीय समूह और अरब मूल के इजरायली शामिल हैं. अनिवार्य सैन्य सेवा नियम महिलाओं पर लागू नहीं है, लेकिन स्वेच्छा से सेना में शामिल होने वाले का स्वागत किया जाता है.
भारतीय सेना में क्या है महिलाओं को लेकर नियम?
भारतीय सेना (Indian Army) में महिलाओं की भागीदारी बेहद कम है. भारतीय सेना में महिलाओं को मेडिकल या क्लर्क जैसे गैर सैन्य पदों पर ही भर्ती किया जाता है. महिलाओं को 10 से 14 साल की नौकरी वाले शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिये सेना में अफसर वर्ग में शामिल किया जाता है. हालांकि अब कुछ महिला अफसरों की मांग पर भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की कवायद शुरू की गई है. इसके तहत महिला पायलटों को फाइटर जेट उड़ाने के लिए भी चुना गया है.
भारतीय सेना में कितनी हैं महिलाएं?
केंद्र सरकार की तरफ से लोकसभा में दिए जवाब के मुताबिक, भारतीय सेना, नौसेना व वायु सेना में कुल 11,414 महिलाएं काम कर रही हैं. इनमें मेडिकल सेवाओं को हटा दें तो तीनों सेनाओं में महज 4,948 महिलाएं तैनात हैं. एक जनवरी, 2024 तक भारतीय सेना में 1,733 महिला अधिकारी वे 100 अन्य रैंकों में तैनात महिलाकर्मी शामिल थीं. भारतीय वायुसेना में 1,654 महिलाएं और नौसेना में 580 महिला अधिकारी व 726 महिला सेलर्स (अग्निवीर भर्ती के जरिये शामिल) काम कर रही हैं. भारतीय सेना की मेडिकल कोर में 1,212, डेंटल कोर में 168 व मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में 3,841 महिलाएं शामिल हैं. भारतीय नौसेना की मेडिकल कोर में 151, डेंटल कोर में 10 व नर्सिंग सेवा में 380 महिलाएं तैनात हैं. वायु सेना की डेंटल कोर में 5, नर्सिंग सेवा में 425 व मेडिकल कोर में 274 महिलाओं को जिम्मेदारी दी गई है.
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महिलाओं के लिए Compulsory Military Service वाले देशों में डेनमार्क भी शामिल, जानिए भारत में क्या है नियम