डीएनए हिंदी: पूरी दुनिया ये जानती है कि तिब्बत पर कब्जे के बाद से ही चीन ने वहां के लोगों पर बहुत अत्याचार किए हैं. चीन के अत्याचारों से परेशान होकर बहुत बड़ी संख्या में तिब्बती लोग तिब्बत छोड़कर अन्य देशों में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं. अब तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट ने अपनी नई रिपोर्ट में तिब्बत के अंदर चल रहे चीन के 'गंदे खेल' को लेकर खुलासे किए हैं. इस रिपोर्ट में चीन के उन स्कूलों के बारे में जानकारी दी गई है, जिनमें तिब्बतियों की पहचान मिटाने का काम किया जा रहा है.
तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट की इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन तिब्बत में ऐसे बोर्डिंग स्कूल चला रहा है, जहां तिब्बत के छोटे बच्चों को उनकी संस्कृति से दूर कर चीन के प्रति वफादार नागरिक बनाया जा सके. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीनी सरकार की पॉलिसी के तहत बनाए गए इन स्कूलों में जबरन पढ़ाए जाने के लिए महज चार साल की उम्र में ही बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया जाता है. चीनी सरकार की पॉलिसी की वजह से तिब्बत में हर चार में से तीन तिब्बती छात्र इन बोर्डिंग स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी इतने लंबे समय से तिब्बत में लागू दमनकारी नीतियों के आगे भी स्थानीय लोगों को न झुकता देख अब इस पॉलिसी पर काम कर रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य तिब्बती पहचान को खत्म करना है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन के इन बोर्डिंग स्कूलों में पढ़ाए जा रहे 6 साल से 18 साल की आयु वाले तिब्बत के छात्रों की संख्या 8 लाख से 9 लाख के बीच है जबकि 4 साल से 5 साल के बच्चों की संख्या के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है. इन स्कूलों में तिब्बती बच्चों को इस तरह से परिवर्तित किया जा रहा है कि वो आगे चलकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए वफादार साबित हो.
तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के इन बोर्डिंग स्कूलों में तिब्बत के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा चीनी भाषा में करवाई जाती है. स्कूलों में बच्चे अपने धर्म का पालन नहीं कर सकते हैं और उन्हें चीन की नीति के अनुसार, राजनीतिक शिक्षा दी जाती है. तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट के डॉयरेक्टर Lhadon Tethong ने कहा कि तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों और संस्कृति से जानबूझकर दूर कर और उन्हें सरकारी बोर्डिंग स्कूलों में रखकर चीनी अधिकारी तिब्बती पहचान पर हमला करने के लिए सबसे जघन्य साधनों में से एक का उपयोग कर रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि तिब्बत में अत्याचार करने का चीन का गंदा अभियान सबसे छोटे बच्चों को भी निशाना बनाता है, जिस वजह से हम संयुक्त राष्ट्र और संबंधित सरकारों के तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हैं. रिपोर्ट मे कहा गया है कि पिछले एक दशक में, चीनी अधिकारियों ने तिब्बत में स्थानीय स्कूलों को व्यवस्थित रूप से समाप्त कर दिया है और उन्हें चीनी नीतियों पर चलाए जाने वाले बोर्डिंग स्कूलों में बदल दिया है. इतना ही नहीं, चीन ने मॉनेस्ट्री के स्कूलों और अन्य निजी तौर पर संचालित तिब्बती स्कूलों को भी बंद करने के लिए मजबूर किया है. जिस वजह से तिब्बती लोगों के पास अपने बच्चों को दूर भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तिब्बत का कोई व्यक्ति अपने बच्चों को इन स्कूलों में पढ़ाए जाने का विरोध करता है तो प्रशासन से जुड़े अधिकारी उन्हें धमकाते हैं. Lhadon Tethong ने कहा कि चीन तिब्बती बच्चों को शिक्षित करने का दावा करता है, लेकिन दुनिया जानती है कि उन स्कूलों में बच्चों को क्यों धकेला जाता है, जो उनकी संस्कृति का सफाया करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि चीन पर तिब्बत के बच्चों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए दबाव बनाया जाना चाहिए ताकि उन्हें छोटी सी उम्र में उनके परिवारों से दूर न किया जाए.
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