डीएनए हिंदी: दुनिया में सिर्फ दो ही उद्योग हैं जिन्हें चलाने वाले लोग अपने ग्राहकों को यूजर्स कह कर बुलाते हैं. एक है नशीले ड्रग्स का व्यापार करने वाले और दूसरी है डिजिटल नशा बेचने वाली सोशल मीडिया (Social Media) कंपनियां. दोनो का बिजनेस मॉडल भी ऐसा है जिसमे बच्चों को सॉफ्ट टारगेट माना जाता है क्योंकि उन्हें आसानी से ड्रग्स या डिजिटल नशे की लत भी लगवाई जा सकती है.
ड्रग्स का नशा बेचने वालों पर तो कई देशों में कानून बने हैं लेकिन डिजिटल नशा बेचने वालों पर सख्ती के लिए अमेरिका के कैलिफोर्निया (California) प्रान्त की असेंबली में ऐसा बिल आया है, जिसमें अगर किसी बच्चे को सोशल मीडिया की लत लगती है, तो सोशल मीडिया कंपनी को लाखों का हर्जाना भरना पड़ेगा.
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सोशल मीडिया के नशे से बचने के लिए संसद में पेश हुआ बिल
बच्चों को सोशल मीडिया कंपनी के नशे से बचाने के लिए अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रान्त की असेंबली में सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद बुफ्फी विक्स और विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के सांसद जॉर्डन कुंनिंगम ने 15 मार्च को 'सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ड्यूटी टू चिल्ड्रेन एक्ट' नाम का एक बिल पेश किया है, जिसमें प्रावधान है कि अगर किसी बच्चे को सोशल मीडिया की लत लग जाती है तो उसके माता-पिता सोशल मीडिया कंपनी के खिलाफ मामला दायर कर सकते हैं और आरोप साबित होने पर सोशल मीडिया कंपनी को उस बच्चे के माता-पिता को बतौर हर्जाना 25 हजार डॉलर यानी लगभग 19 लाख भारतीय रूपये देने होंगे. कानूनी कार्यवाही के खर्च के लिए 1 हजार डॉलर यानी 76 हजार रुपये देने होंगे.
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जल्द बन सकता है कानून
ये बच्चों में सोशल मीडिया की लत के खिलाफ अपनी तरह का पहला सरकारी कदम है जो कैलिफोर्निया में उठाया जा रहा है और इस बिल के जल्द ही पास होने की संभावना है. जिसके बाद यह कानून भी बन जायेगा. पिछले साल ही फेसबुक की पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगेन ने फेसबुक के इंटरनल डाक्यूमेंट्स लीक करके दावा किया था कि फेसबुक और इंस्टाग्राम ऐसी एल्गोरिथ्म (algorithm) का उपयोग करता है, जो बच्चों को अपनी लत लगवा देती है जिसकी वजह से बच्चे ना ही समय पर खाना खा पाते हैं और ना ही कोई और काम कर पाते हैं. बस दिन भर सोशल मीडिया साइट्स को ही स्क्रॉल (Scroll) करते रहते हैं.
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बहुत समय बिताते हैं लोग
फ्रांसिस हॉगेन ने यह भी दावा किया था कि फेसबुक को पता भी था कि उसकी Algorithm की वजह से बच्चे सभी काज छोड़ कर बस फेसबुक और इंस्टाग्राम से चिपके जा रहे हैं. लेकिन फेसबुक ने अपने निजी फायदे के लिए कोई भी बदलाव नही किये. इसी रिपोर्ट के बाद अब कैलिफोर्निया प्रान्त के सदन में यह बिल पेश किया गया है, जिसमें विश्व की बड़ी सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक, इंस्टाग्राम और टिकटॉक का उल्लेख भी है.
स्कूल जाने वाले 43 फीसदी बच्चे हैं सोशल मीडिया पर एक्टिव
पिछले साल राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा करवाये गए एक सर्वे में सामने आया था कि स्कूल जाने वाले 43 फीसदी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. 37 फीसदी बच्चे फेसबुक और 46% इंस्टाग्राम चलाते हैं. इसी सर्वे में NCPCR ने बताया था कि 10 साल या उससे कम उम्र के 38% बच्चे फेसबुक और 25 फीसदी बच्चे इंस्टाग्राम चलाते हैं. डॉक्टर्स की माने तो बीते कुछ वर्षों में उनके पास लगातार ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है जो सोशल मीडिया की लत का शिकार हो चुके हैं.
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इस साल 75 करोड़ से ज्यादा हो जाएंगे सोशल मीडिया यूजर्स
एक डेटा के मुताबिक भारत मे वर्ष 2021 तक सोशल मीडिया के 63 करोड़ से ज्यादा यूजर्स थे, जिनका इस साल के अंत तक 75 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है. जिसमें 16 करोड़ से ज्यादा बच्चे हैं. ऐसे में अगर आपके बच्चे को भी सोशल मीडिया की लत लगी हुई है तो आपके लिए हमारी कुछ जरूरी टिप्स हैं.
1. बच्चे के सामने आप भी घंटो सोशल मीडिया ना चलाएं क्योंकि बच्चा आस पास के माहौल से ही सीखता है.
2. बच्चे को मोबाइल फोन के बजाए बाहर दोस्तों के साथ आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करें.
3. बच्चों को सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों के बारे में बताएं और उसे समझाएं की क्यों घंटो सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना उनके लिए हानिकारक है.
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