डीएनए हिंदीः चीन सदैव ही विस्तारवादी नीति पर चलता रहा है, जबकि वो अपने ही बनाए जाल में फंसता जा रहा है. कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी के बाद तो चीन को चौतरफा मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. आस्ट्रेलिया से लेकर वियतनाम तक चीन की कमजोर नब्ज दबा रहे हैं. चीन विरोधी इस नीति के तहत अमेरिका के कदम ने फिर चीन के होश उड़ा दिए हैं. अमेरिका ने चीन की वन चाइना पॉलिसी को झटका देते हुए ताइवान को लोकतंत्र संबंधी समिट में आंमंत्रित किया है.
ताइवान को मिली तवज्जो
अमेरिका ने 9-10 दिसंबर को होने वाले लोकतंत्र संबंधी समिट के लिए 110 देशों को न्योता दिया है. ये समिट वर्चुअल माध्यम से होगा. खबरों के मुताबिक अमेरिका ने इन 110 देशों में ताइवान को भी न्योता दिया है, जो कि स्वयं को एक अलग राष्ट्र मानता रहा है. ताइवान इस वर्चुअल बैठक में हिस्सा ले सकती हैं. अमेरिका द्वारा दिया गया ये न्योता चीन के लिए मुसीबतों को सबब बन सकता है.
चीन को न्योता नहीं
अमेरिका ने जहां इस वर्चुअल बैठक को लेकर जहां ताइवान के मुद्दे पर चीन को झटका दिया है, तो वहीं दूसरी ओर चीन को ही न्योता न देकर उसको वैश्विक स्तर पर किनारे कर दिया है. वहीं रूस को भी इस समिट में जगह नहीं दी गई है. अमेरिका की इस वर्चुअल समिट में श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान एवं नाटो समर्थक देश तु्र्की को भी न्योता नही दिया गया है.
भड़क गया है चीन
अमेरिका द्वारा चीन को इस सम्मेलन में न आमंत्रित करना एवं ताइवान को तवज्जो देना, चीन को आक्रोशित कर रहा है. इसके चलते चीन के अधिकारियों ने इसे अमेरिका की एक ग़लती बताया है. इस मुद्दे पर ताइवान अफ़ेयर्स ऑफ़िस की प्रवक्ता जू फेंगलियान ने कहा, "अमेरिका और ताइवान के बीच किसी भी तरह के आधिकारिक बातचीत का हम पुरज़ोर विरोध करते हैं."
चीनी अधिकारी ने कहा, "अमेरिकी सरकार ‘वन चाइना पॉलिसी’को मानता आया है. कुछ अमेरिकी चीन को नियंत्रित करने के लिए ताइवान का उपयोग कर रहे हैं. ये ‘आग के साथ खेलने जैसा है’और ‘जो भी आग से खेलेगा वो जलेगा." स्पष्ट है कि अब अमेरिका एवं चीन के बीच पुनः वन चाइना पॉलिसी एवं ताइवान के मुद्दे पर तनाव बढ़ सकती है.
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