रूस (Russia) के भीषण हमले के बाद से यूक्रेन (Ukraine) से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं. अमेरिकी सीनेट के शीर्ष नेता मार्क वार्नर (Mark Warner) ने आरोप लगाया है कि यूक्रेन की सरकार पलायन कर रहे लोगों से नस्लीय भेदभाव कर रही है. मार्क वार्नर ने अपील की है कि यूक्रेनी सरकार नस्लीय भेदभाव को रोके.
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यूक्रेन छोड़कर जा रहे कई छात्रों ने सीमा पर नस्लीय भेदभाव का शिकार होने की बात कही है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां पढ़ाई कर रहे कई छात्रों ने कहा है कि सीमा पर यूक्रेन के सुरक्षाबलों ने उनके साथ नस्लीय भेदभाव किया.
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छात्रों में अधिकतर अफ्रीका और एशिया के छात्र हैं जो यूक्रेन छोड़कर उसके आस-पास के देशों में जा रहे हैं. यूक्रेन पहले से रूस के हमलों से जूझ रहा है. ऐसे में इस तरह की घटनाएं उसे और नुकसान पहुंचा सकती हैं.
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अमेरिकी कांग्रेस के सीनेट के वरिष्ठ सदस्य मार्क वार्नर ने अमेरिका में यूक्रेन की राजदूत ओकसाना मारकारोवा को एक पत्र लिखकर कहा, 'मैं यूक्रेन की पश्चिमी सीमाओं से आ रही परेशान करने वाली कुछ रिपोर्टों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. इन रिपोर्टों में कुछ गैर-यूक्रेनी व्यक्तियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार और नस्लीय भेदभाव होने की बात सामने आई है. विशेष रूप से अफ्रीकी देशों के व्यक्तियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.'
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मार्क वार्नर इंटेलीजेंस पर अमेरिकी कांग्रेस के उच्च सदन सीनेट की सेलेक्ट कमेटी के अध्यक्ष हैं. वह सीनेट इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष भी हैं. सोशल मीडिया पर प्रसारित कुछ वीडियो के मुताबिक मोरक्को, नाइजीरिया, मिस्र और भारत के साथ-साथ यूक्रेन में युद्ध से बचने के इच्छुक कई अन्य देशों के लोगों के साथ मारपीट की गई. उनके साथ नस्लीय भेदभाव किया गया और उन्हें ट्रेनों और बसों में चढ़ने से रोक दिया गया. यूक्रेन के पड़ोसी देशों में उन्हें जाने भी नहीं दिया गया.
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मार्क वार्नर ने अपने पत्र में लिखा है कि इनमें से कई व्यक्ति यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले छात्र हैं. यूक्रेन में पढ़ने वाले 80 हजार से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से कम से कम 20 प्रतिशत अफ्रीकी देशों से आते हैं, जिसमें मोरक्को, नाइजीरियाई और मिस्र के छात्रों की बड़ी संख्या है.