चीन की चालाकियों और कठोरता का सामना पड़ोसी और दुनिया के दूसरे ही देश नहीं कर रहे हैं. चीनी नागरिक भी शासन के सामने मजबूर हैं. देश में कड़ाई से जीरो कोविड पॉलिसी लागू करने के लिए नागरिकों को खूब परेशान किया जा रहा है. नियमों का पालन करना जरूरी है और पुलिस -प्रशासन इसे लागू करने के लिए कठोर सख्ती बरत रहे हैं.
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क्वारंटाइन पीरियड 2 सप्ताह है. इन 2 सप्ताह में लोगों को लोहे या लकड़ी के बक्से में रखा जाता है. इसमें घूमने-फिरने की भी जगह नहीं है. साथ में सिर्फ एक शौचालय दिया गया है.
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डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, शियान शहर में एक करोड़ 30 लाख लोगों को क्वारंटाइन के नाम पर घरों में पूरी तरह से कैद कर दिया गया है. इनमें से कई परिवार ऐसे हैं जिनके घर का राशन भी खत्म हो गया है. किसी भी परिस्थिति में लोगों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है.
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लोहे के बक्सों में सिर्फ कोविड संक्रिमतों को ही नहीं बल्कि उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों को क्वारंटाइन किया जा रहा है. डेली मेल के अनुसार, बच्चे, बुजुर्गों और प्रेग्नेंट महिलाओं को भी लोहे के बक्से में कैद करके रखा गया है.
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जीरो कोविड नीति के तहत, मामूली गलतियों के लिए भी कठोर सजा का प्रावधान है. कोविड नियमों का उल्लंघन करने पर 4 साल तक कैद की सजा है. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, लोगों में डर का माहौल है और नियमों की सख्ती की वजह से लोग अपने पड़ोसियों तक की मदद नहीं कर पा रहे हैं.
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चीन में कोरोना संक्रमितों को स्वास्थ्य अधिकारियों और प्रशासनिक टीम क्वारंटाइन करवा रही है. लोगों को होम क्वारंटाइन की भी छूट नहीं है. अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, लोहे के बक्सों में बंद करके रखा करीब 2 करोड़ लोगों को क्वारंटाइन के नाम पर रखा गया है.