कोरोना महामारी की वजह से चीन और अमेरिका के बीच तनाव की स्थितियां पहले से ही बनी हुई हैं. दोनों महाशक्तियां एक-दूसरे पर दबाव बनाने का काई मौका नहीं छोड़ रही हैं. इस बीच आज चीन की 44 उड़ानें अमेरिका ने रद्द कर दी हैं. इससे पहले, चीन भी अमेरिका की कई उड़ानें रद्द कर चुका है. समझें दबाव का यह पूरा गेम किस तरह काम कर रहा है.
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चीन ने डेल्टा एयरलाइंस, यूनाइटेड एयरलाइंस और अमेरिकन एयरलाइंस के कुछ यात्रियों के कोविड संक्रमित पाए जाने के बाद इन एयरलाइं, कंपनियों की उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके जवाब में आज अमेरिका ने चीन की 44 फ्लाइट्स रद्द कर दी हैं.
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अमेरिका की 44 फ्लाइट्स रद्द करने से आर्थिक तौर पर चीन को काफी नुकसान होने का अनुमान है. माना जा रहा है कि इसका असर चीन के पूरे विमानन उद्योग पर पड़ने वाला है. बता दें कि अमेरिका ने इस कदम को सही ठहराते हुए कहा है कि जर्मनी और फ्रांस ने भी यही कदम उठाया है और चीन के साथ अंतरराष्ट्रीय विमानों की संख्या सीमित की है. कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर की एयरलाइंस कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. अब अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से चीन के विमानन उद्दोग को खासा नुकसान होना तय है.
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चीन ने अमेरिका के कदम को अनुचित बताते हुए कहा है, ‘हम अमेरिका से चीनी एयरलाइंस की सामान्य यात्री उड़ानों को बाधित और प्रतिबंधित करने से रोकने का आग्रह करते हैं’ बता दें कि चीन द्वारा अमेरिकी एयरलाइंस पर प्रतिबंध लगाने पर अमेरिका ने इसे अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन बताया था.
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कोरोना महामारी की वजह से पहले से ही अमेरिका और चीन के बीच तनाव काफी बढ़ गया है. चीन और अमेरिका के बीच टेक्नोलॉजी और व्यापार को लेकर पहले से ही तनाव जारी है. इसके अलावा, ताइवान संकट को लेकर भी दोनों देश आमने-सामने हैं. एशिया में चीन की दादागीरी के खिलाफ अमेरिका अपना सख्त रूख दिखा चुका है. अमेरिका ही नहीं कई यूरोपीय देशों ने बीजिंग में होने वाले विंटर ओलिंपिकों का बहिष्कार किया है. ऐसे हालात में अब एयरलाइंस पर बैन दोनों देशों के रिश्ते में तनाव को और बढ़ाने जा रहा है.