रूस के साथ रक्षा और व्यापार बढ़ाने की कोशिश पाकिस्तान लगातार कर रहा है. बदहाली के कगार पर खड़ा पाकिस्तान का विश्व में अब चीन ही एक मात्र सहारा है. सऊदी अरब और यूएई जैसे देश भी लगातार इस्लामाबाद से दूर हो रहे हैं. भारत और रूस के मजबूत सैन्य संबंधों को देखते हुए पाकिस्तान रूस से दोस्ती बढ़ाने की कोशिशों में जुटा है.
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रूस के प्रेस सचिव दिमित्री पेसकोव ने रविवार को बताया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान रूस का दौरा करेंगे. उन्होंने कहा कि इमरान खान 23-24 फरवरी को दो दिवसीय रूस के दौरे पर आने वाले हैं. 23 सालों में किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की यह पहली रूस यात्रा है. इस दौरान पुतिन से भी पाक पीएम की मुलाकात होगी.
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भारत और रूस के बीच मजबूत व्यापारिक और सैन्य संबंध दशकों पुराने हैं. पाकिस्तान पिछले कुछ सालों से मॉस्को से दोस्ती के लिए खासी मशक्कत कर रहा है. इसकी वजह है कि पाकिस्तान को रूस से बड़े सैन्य करार और व्यापार की उम्मीदें हैं. यूक्रेन संकट की वजह से रूस भी इस वक्त अलग-थलग पड़ा हुआ है. पाकिस्तान में महंगाई और रोजगार संकट चरम पर है. कोई भी महाशक्ति वहां निवेश करने या पाकिस्तान की मदद के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में इमरान खान की कोशिश है कि चीन के साथ रूस को भी अपने खेमे में लिया जा सके.
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इमरान खान की बीजिंग ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी में भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाकात हुई थी. पुतिन की इस्लामाबाद यात्रा भी जल्द हो सकती है. इमरान खान उन्हें कई बार न्योता दे चुके हैं. हालांकि कोविड महामारी की वजह से पिछले 2 साल से यह यात्रा टलती रही है. कुछ महीने पहले रूस और पाकिस्तान ने एक संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया था.
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पाकिस्तान की मीडिया में यूक्रेन से युद्ध संकट के बीच इमरान खान की मॉस्को यात्रा को लेकर खासी हलचल है. पाकिस्तान की सरकार इसे कूटनीतिक सफलता बताकर भुनाने की कोशिश में जुटी है. इस यात्रा से रूस से पाकिस्तान को कोई बड़ी सौगात मिलती है या नहीं यह तो बाद में ही पता चलेगा.
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रूस और पाकिस्तान के संबंधों में पिछले कुछ समय में बदलाव की आहट साफ दिख रही है. ऐसे में भारत के लिए क्या इसे खतरे की घंटी माना जा सकता है? कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि भारत-रूस संबंध दशकों पुराने हैं और इनमें स्थिरता और गहराई है. भारत की विश्वसनीयता और लंबे समय से प्रगाढ़ हुए संबंधों को देखते हुए फिलहाल खतरे की कोई बात नहीं है. रूस को अपनी मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए भले ही कुछ छोटे हिस्सों में पाकिस्तान की जरूरत हो लेकिन यह संबंध दूरगामी नहीं हैं.