अफगानिस्तान (Afghanistan) में लड़कियों का भविष्य अंधकार में जाता नजर आ रहा है. तालिबान (Taliban) सरकार लड़कियों की शिक्षा पर पहरे लगा रही है. तालिबान सरकार एक के बाद एक नए ऐसे नए आदेश जारी कर रही है जिससे छात्राएं स्कूल और कॉलेजों में न जा सकें. अब काबुल यूनिवर्सिटी और काबुल पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी के लड़के-लड़कियों की पढ़ाई के लिए तालिबान ने अलग-अलग दिन तय कर दिया है.
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तालिबान ने जब से अफगानिस्तान में सत्ता संभाली है तब से ही शिक्षा तंत्र तबाह हो गया है. छात्राओं को पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हुई है. तालिबान के नए फरमान के विरोध में स्टाफ से लेकर स्टूडेंट्स तक उतर आए हैं. छात्राओं ने भी कहा है कि तालिबानी शिक्षा व्यवस्था तबाह कर रहे हैं.
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यूनिवर्सिटी के एक प्रवक्ता महदी अरेफी ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में सरकार की दखल सकारात्मक दिशा में होनी चाहिए और सरकार को नई सुविधाओं के साथ नए मौके मुहैया कराने चाहिए. लेकिन यहां सरकार की ओर से गैरजरूरी दखल दिया जा रहा है. प्रोफेसर भी तालिबानी फैसले से खुश नहीं हैं.
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मोहम्मद रमीन नाम के एक छात्र ने कहा कि अभी हम एक दिन में तीन विषयों की पढ़ाई करते हैं लेकिन नए शेड्यूल के मुताबिक एक दिन में 6 सब्जेक्ट पढ़ने होंगे. इसके लिए हमें ज्यादा वक्त और मेहनत करनी होगी जो छात्रों की क्षमता से बाहर है. सोशल मीडिया पर भी सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है. छात्रों का कहना है कि नए फरमान से उनके सामने आर्थिक संकट पैदा होगा.
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खामा न्यूज एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हायर एजुकेशन मिनिस्ट्री की ओर से जारी नए शेड्यूल के मुताबिक सप्ताह के तीन दिन लड़कियों को यूनिवर्सिटी जाना होगा जबकि बाकी तीन दिन लड़के जाएंगे. यह नियम अभी केवल दो विश्वविद्यालों के लिए बनाया गया है. इसे मई में लागू किया जाएगा.
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तालिबान ने यूनिवर्सिटी में लड़के-लड़कियों के साथ में पढ़ाई करने पर रोक लगा दी थी. लड़कियों को सुबह की कक्षाओं में बैठने की अनुमति थी, जबकि लड़कों को शाम को अनुमति दी गई थी. यह फरमान तब आया है जब पूरे अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए माध्यमिक विद्यालय फिर से खुलने वाले हैं. तालिबान में लड़की और लड़कों को एक साथ पढ़ने की इजाजत नहीं है. तालिबानियों ने को-एजुकेशन के कॉन्सेप्ट को ही खत्म कर दिया है.