अफगानिस्तान में इस वक्त भूख, बेरोजगारी और स्वास्थ्य का संकट चरम पर है. तालिबान के कब्जे के बाद से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र अध्यक्ष एंटोनियो गुटेरेस ने अफगानिस्तान संकट पर पूरे विश्व से अपील की है. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व को मिलकर ही इस समस्या का समाधान ढूंढ़ना होगा. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से प्रतिबंधित अफगान सहायता को फिर से जारी करने का भी अनुरोध किया है.
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संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि हालिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि अफगानिस्तान में गरीबी और भुखमरी की वजह से लोग अपने बच्चों को बेचने के लिए मजबूर हो गए हैं. कुछ दिन पहले ही चीन के संयुक्त राष्ट्र राजदूत ने कहा था कि एक महिला ने अपने बच्चों का पेट भरने के लिए अपनी किडनी बेच दी है. हालिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान में 50 फीसदी से ज्यादा आबादी भुखमरी के कगार पर है. ऐसी रिपोर्ट्स भी सामने आई हैं कि लोगों ने कुछ दिन के खाने के लिए अपने बच्चे भी बेच दिए हैं.
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संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद के लिए अपील की है. उन्होंने कहा, 'मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान के लोगों के लिए समर्थन बढ़ाने की भी अपील करता हूं. इन संगठनों में विश्व बैंक और अमेरिकी सरकार द्वारा रोकी गई सहायता राशि को जारी करना भी शामिल है. अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों और दानदाताओं से भी अपील करता हूं कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को गति मिल सके.'
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अफगानिस्तान में महिला कार्यकर्ताओं और लड़कियों के अपहरण और जेल की खबरों पर भी संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है. गुटेरेस ने कहा, 'ऐसी खबरें आना निराशाजनक है और मैं अपील करता हूं कि तत्काल महिला कार्यकर्ताओं और लड़कियों को जेल से छुड़ाया जाए. मैं लड़कियों के लिए स्कूल और कॉलेज खोलने की भी अपील करता हूं.'
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अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए विश्व बैंक द्वारा जारी 1.2 बिलियन डॉलर सहित कई और फंड इस समय फ्रीज हैं. पिछले साल अगस्त में कट्टरपंथी तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लेने के बाद से इन सभी फंडों को फ्रीज कर दिया गया है. यूएन महासचिव ने कहा, 'फ्रीज सहायता राशि जारी किया जाना मानवीय संघर्ष को खत्म करने के लिए जरूरी है.'
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अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को 6 महीने से अधिक हो चुके हैं लेकिन अभी तक ज्यादातर देशों ने इसे मान्यता नहीं दी है. तालिबान अधिकारियों ने हाल ही में मानवीय संकट को दूर करने के लिए नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में पश्चिमी शक्तियों के साथ बातचीत की थी. इस बातचीत के बाद भी अब तक कोई खास नतीजा नहीं निकला है.