डीएनए हिंदी: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू हो चुका है. यह अधिवेशन तय करेगा कि तीसरी बार भी शी जिनपिंग चीन के राष्ट्रपति बनेंगे या नहीं. अब तस्वीर साफ हो जाएगी कि वह माओत्से तुंग के बराबर लकीर चीन में खींच पाएंगे या नहीं. साल 2012 से ही चीन के सुप्रीम लीडर बने शी जिनपिंग के राजनीतिक भविष्य पर मुहर आज लगेगी.
चीन में 1980 के दशक में एक नियम आया था, जिसमें यह तय किया गया था कि एक व्यक्ति अधिकतम दो बार राष्ट्रपति बन सकता है. साल 2018 में शी जिनपिंग ने इस नियम में संशोधन करा दिया. अब वह अपने पद पर आजीवन बने रह सकते हैं. कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में अगर वह समर्थन जुटा ले गए तो चीन में उनका वर्चस्व एक बार फिर साबित हो जाएगा.
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फिर बढ़ेगी शी जिनपिंग की ताकत
यह अधिवेशन ही शी जिनपिंग की ताकत बढ़ाएगा. शी जिनपिंग फिलहाल चीन के सबसे बड़े प्रशासनिक, सैन्य और राजनीतिक अधिकारी हैं. वह कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव हैं. चीनी सेना की कमान उनके हाथों में हैं. वह राष्ट्रपति भी हैं. ऐसे में उनकी कद का कोई नेता फिलहाल चीन में नजर नहीं आ रहा है.
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फिर सत्ता संभालने के लिए तैयार हैं शी जिनपिंग!
यह तय माना जा रहा है कि शी जिनपिंग ही चीन में सबसे बड़ी ताकत बने रहेंगे. उन्होंने बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी अधिवेशन की शुरुआत में जो भाषण दिया, उसमें ही झलक रहा है कि वह अपनी सत्ता को लेकर बेहद आश्वस्त हैं.
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उन्होंने ताइवान मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि ताइवान हर ताकत आजमाने बात चीन नहीं छोड़ सकता है. ताइवान का मुद्दा चीनी लोग ही हल करेंगे. हम शांतिपूर्ण तरीके से ताइवान को अपने में शामिल कराने की कोशिश करेंगे. बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधियों से शी जिनपिंग ने यह कहा है.
कोविड की जीरो टॉलरेंस नीति पर क्या बोले जिनपिंग?
शी जिनपिग ने जीरो कोविड पॉलिसी पर भी बात की. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था और लोगों पर इसका गलत असर पड़ा है. लॉकडाउन की वजह से जनता थक चुकी है लेकिन इस रणनीति से हजारों जानें भी बचाई गई हैं.
हांगकांग पर क्या बोले शी जिनपिंग?
शी जिनपिंग ने अधिवेशन में कहा, 'चीन ने हांगकांग पर व्यापक नियंत्रण हासिल कर लिया है, इसे अराजकता से शासन में बदल दिया है. शी जिनपिंग ने कहा कि चीन ने ताइवान अलगाववाद के खिलाफ एक बड़ा संघर्ष भी किया है और वह क्षेत्रीय अखंडता का विरोध करने के लिए दृढ़ और सक्षम है.
अब बढ़ेगा चीन में अधिनायकवाद
शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल में अधियानकवाद और ज्यादा बढ़ सकता है. तिब्बत प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का देश में दखल ज्यादा बढ़ गया है. शी जिनपिंग ने देश और पार्टी के बीच का अंतर मिटा देंगे. लोगों को यह भी डर है कि शी जिनपिंग चीनी नागरिक नहीं, लोगों को सीसीपी सदस्य बना देना चाहते हैं, जहां राजनीतिक प्रतिरोध करे लिए कोई जगह नहीं है.
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